चमोली। बाड़ाहोती विवाद के बीच पूर्व कैबिनेट मंत्री केदार सिंह फोनिया का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा कि भारत-चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमा बाड़ाहोती नहीं तुनजूनला है। बाड़ाहोती मामले को 1956 में नेहरु की चीन के साथ हिन्दू-चीनी भाई-भाई संधि के बीच विवादित बनाया गया। बाड़ाहोती 1956 तक भारत की जमीन थी। 1956 की संधि ने हमें तीन किलोमीटर पीछे करवाया।
उन्होंने कहा कि पहले हमारी पोस्ट बाड़ाहोती में थी। बाड़ाहोती पर पूरी तरह से भारत का अधिकार, 56 से पूर्व यहाँ बाड़ाहोती में पीएससी की एक पोस्ट थी। जिसका कमान पितृसेन रतूड़ी के पास थी, लेकिन 56 की संधि ने हमसे बाड़ाहोती की पोस्ट से 3 किलोमीटर पीछे हटकर बाड़ाहोती क्षेत्र को नो मेंस लेंड बनाया। जिसके चलते अब आये दिन चाइना के लोग हमारे चरवाहों को परेशान करते रहते हैं और हमारी सीमा में घुसपेठ की भी खबर समय-समय पर आती रहती है। उन्होंने बताया कि एक बार 1948 में यहाँ से अपने पिता माधो सिंह के साथ व्यापार सीखने तिब्बत तक गए हैं। फोनिया भोटिया जनजाति से आते हैं। उत्तरप्रदेश में कैबिनेट मंत्री बनने से पहले फोनिया आईएएस थे, यहाँ से इस्तीफा देकर वह राजनीति में आये थे।
56 की संधि के अनुसार भारत-तिब्बत को बाड़ाहोती से 3 -3 किमी हटना पीछे हटना था, जिस कारणभारत की अंतिम पोस्ट बाड़ाहोती से रिमखिम में आ गयी।
