उत्तराखंड

गोबरधन योजना के लिए विभागों की तय की गई जिम्मेदारी..

गोबरधन योजना के लिए विभागों की तय की गई जिम्मेदारी..

पेयजल विभाग करेगा अध्ययन..

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश सरकार ग्रामीण रोजगार, किसानों की आय को बढ़ाने के साथ ही स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए भारत सरकार की अम्ब्रेला स्कीम गोबर धन योजना को बेहतर ढंग से लागू करने पर जोर दे रही है। इसी क्रम में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने गोबर धन योजना को बेहतर ढंग से लागू किए जाने को लेकर विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने पेयजल, पशुपालन, उरेडा, डेयरी, कृषि विभाग की जिम्मेदारी तय कर कार्य योजना पर काम करने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने गोबर धन योजना के सफल संचालन के लिए पेयजल विभाग को कार्य योजना का अध्ययन करने के निर्देश दिए हैं। डेयरी विकास विभाग के तहत प्रस्तावित बायोगैस योजनाओं को तय समय के भीतर लागू करने के निर्देश दिए हैं। बायो गैस संयत्रों के लिए गोबर, अन्न समेत अन्य चीजें स्थानीय किसानों से खरीदे जाएंगे। डेयरी विकास के तहत गढ़वाल दुग्ध संघ (श्रीनगर) की ओर से 400 किलो बायोगैस प्रतिदिन उत्पादन क्षमता का बायो गैस संयंत्र संयुक्त उद्यम मॉडल पर स्थापित किया जा रहा है। संयुक्त उद्यम के लिए प्राइवेट उद्यमी का चयन किया जा चुका है। गोबर का उपार्जन और प्लांट का संचालन प्राइवेट पाटर्नर की ओर से किया जाएगा। यहां पर 400 किग्रा बायोगैस प्रतिदिन उत्पादन क्षमता का बायोगैस संयंत्र, 1000 किग्रा प्रतिदिन क्षमता की बायो पेंट इकाई और 3000 किग्रा प्रतिदिन उत्पादन क्षमता की जैविक खाद इकाई स्थापित की जा रही है। संयंत्र के संचालन के लिए रोजाना चार हजार किग्रा गोबर और करीब 3 हजार किग्रा बायोमास की जरूरत होगी। श्रीनगर से 25 किलोमीटर के दायरे में लगभग 29 दुग्ध समितियां और 2 गौशालाएं स्थित हैं, जिसमें लगभग 150 सदस्य एवं 400 पशु आच्छादित करते हुए बायोगैस संयंत्र के लिए करीब 4000 किग्रा गोबर का खरीद किया जायेगा।

बायोगैस सयंत्र के लिए जरूरी अतिरिक्त कच्चे माल की उपलब्धता बायोमास के द्वारा सुनिश्चित की जायेगी। प्लांट संचालन के बाद उत्पादित बायोगैस का उपयोग दुग्ध प्रसंस्करण और बेकरी उत्पाद के लिए किया जायेगा। बायोगैस के साथ ही करीब 3 मीट्रिक टन जैविक खाद एवं आवश्यकता अनुसार बायो पेंट का उत्पादन किया जायेगा। बायोगैस संयंत्र पर गोबर पहुंचाने पर किसानों से दो रुपए प्रति किग्रा की दर से गोबर खरीदा जायेगा और गांव/ समिति स्तर पर एग्रीगेशन पॉइंट में गोबर क्रय की दर एक रुपए प्रति किग्रा होगी।

इसके साथ ही आंचल पशु आहार निर्माणशाला, रुद्रपुर के तहत 1000 किलो बायो सीएनजी प्रतिदिन उत्पादन क्षमता का बायो गैस संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। इस प्लांट की स्थापना और संचालन का कार्य BOT (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर) मॉडल में प्रस्तावित किया जा रहा है। गोबर गैस संयंत्र की स्थापना प्राइवेट पार्टनर की ओर से की जाएगी और निर्धारित अवधि में संचालन के बाद यूसीडीएफ को ट्रांसफर किया जायेगा। पशु आहार निर्माणशाला में डेयरी विकास विभाग के नाम से कुल 04.85 हेक्टेयर भूमि आवंटित है, जिसमें से वर्तमान में 01.60 हेक्टेयर भूमि अनुपयोगी है। प्लांट की स्थापना के लिए लगभग 1.5 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी जिसके लिये उक्त अनुपयोगी भूमि का उपयोग किया जायेगा। संबंधित भूमि पर 1000 किग्रा रोजाना बायो सीएनजी का उत्पादन क्षमता का बायो सीएनजी संयंत्र, 5000 किग्रा प्रतिदिन क्षमता की पेन्ट इकाई और 30 हजार किग्रा प्रति दिन क्षमता की एक जैविक खाद (PROM) इकाई स्थापित की जायेगी। इस संयंत्र के संचालन के लिए प्रतिदिन 25 हजार किग्रा गोबर और करीब 15 हजार किग्रा बायोमास की आवश्यकता होगी।

बायो सीएनजी संयंत्र रुद्रपुर से 30 किलोमीटर के दायरे में करीब 3225 पशु है जिससे करीब 32 हज़ार किग्रा० रोजाना गोबर खरीदा जायेगा।बायो सीएनजी के अलावा करीब 24 मीट्रिक टन PROM और आवश्यकता अनुसार बायो पेट का उत्पादन किया जायेगा। गोबर की उपलब्धता के लिए दुग्ध मार्गों पर स्थित दुग्ध समितियों और अन्य दुग्ध उत्पादकों से गोबर क्रय किया जायेगा। बायो सीएनजी संयंत्र पर गोबर पहुंचाने पर किसानों से 2 रुपए प्रति किग्रा की दर से गोबर खरीदा जायेगा। और गांव/समिति स्तर पर एग्रीगेशन पॉइंट में गोबर क्रय की दर एक रुपए प्रति किग्रा होगी. बायो सीएनजी संयंत्र के लिए अतिरिक्त कच्चे माल की आवश्यकता बायोमास के द्वारा पूर्ति की जायेगी।

 

 

 

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