जीएमवीएन का बड़ा फैसला, शीतकालीन चारधाम यात्रा पर श्रद्धालुओं के लिए आधा किराया..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा अब समापन की ओर है, लेकिन सरकार और पर्यटन विभाग ने आने वाले शीतकालीन यात्रा सीजन को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं। इसी क्रम में गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) ने श्रद्धालुओं को बड़ी राहत देते हुए एक अहम फैसला लिया है। निगम ने घोषणा की है कि शीतकालीन चारधाम यात्रा के दौरान अपने होटलों की आवासीय दरों में 50 प्रतिशत तक की छूट दी जाएगी। जीएमवीएन के इस फैसले से अब शीतकाल में यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को आवासीय सुविधा का केवल आधा किराया देना होगा। निगम के अधिकारी बताते हैं कि यह कदम राज्य में धार्मिक पर्यटन को वर्षभर सक्रिय रखने और सर्दियों के मौसम में भी श्रद्धालुओं को देवभूमि की संस्कृति, आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य से जोड़ने के उद्देश्य से उठाया गया है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्य सरकार शीतकालीन चारधाम यात्रा को नए स्वरूप में बढ़ावा देने की दिशा में लगातार कार्य कर रही है। कपाट बंद होने के बाद भी चारधाम की शीतकालीन गद्दियों जैसे गंगोत्री की मुखबा, यमुनोत्री की खरसाली, केदारनाथ की ऊखीमठ और बद्रीनाथ की जोशीमठ (नरसिंह मंदिर) में पूजा-अर्चना जारी रहती है। सरकार का लक्ष्य है कि इन स्थलों पर भी श्रद्धालुओं की आवाजाही बढ़े, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को गति मिले। जीएमवीएन के इस निर्णय को राज्य में वर्षभर धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। निगम के अनुसार, शीतकाल में उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों को न केवल छूट मिलेगी, बल्कि बेहतर सेवाओं और सुविधाओं का भी अनुभव कराया जाएगा।
इसके लिए निगम अपने गेस्टहाउसों और होटलों में सुविधाओं के उन्नयन और डिजिटल बुकिंग सिस्टम को भी और सशक्त कर रहा है। शीतकालीन यात्रा के सक्रिय होने से स्थानीय व्यापारियों, होटल संचालकों, गाइडों और परिवहन सेवाओं को भी प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। इससे पहाड़ी इलाकों में रोज़गार और आय के नए अवसर पैदा होंगे। सीएम धामी कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उत्तराखंड को “12 महीने पर्यटन राज्य” के रूप में विकसित किया जाएगा। जीएमवीएन का यह कदम उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो न केवल चारधाम यात्रा की लोकप्रियता को बढ़ाएगा, बल्कि राज्य की आर्थिक और सांस्कृतिक सशक्तता को भी नई ऊर्जा देगा।
गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) ने घोषणा की है कि अब उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में स्थित अपने होटलों और गेस्टहाउसों में आवासीय दरों पर 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। यह छूट शीतकालीन चारधाम यात्रा के दौरान प्रभावी रहेगी। जीएमवीएन के इस निर्णय से अब शीतकाल में यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को आवासीय सुविधाएं आधे किराये में मिलेंगी। यह कदम उन तीर्थयात्रियों के लिए राहत लेकर आया है जो सर्दियों में भी देवभूमि के दर्शनों का संकल्प लेते हैं। निगम के अधिकारियों ने कहा कि उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में शीतकाल के दौरान श्रद्धालुओं का आवागमन अधिक रहता है, इसलिए इन क्षेत्रों में छूट देने का फैसला लिया गया है।
जीएमवीएन का यह फैसला सीएम पुष्कर सिंह धामी के उस विजन को साकार करने वाला कदम माना जा रहा है, जिसके तहत प्रदेश में बारहों महीने तीर्थाटन और पर्यटन को सक्रिय रखने का लक्ष्य रखा गया है। सीएम धामी ने हाल ही में कहा था कि शीतकालीन यात्रा को प्रोत्साहन देने से न केवल धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नया सहारा मिलेगा। चारों धामों के कपाट बंद होने के बाद भी देवभूमि में आस्था की लौ निरंतर जलती रहती है। शीतकाल में चारधाम की पूजा अपने निर्धारित शीतकालीन गद्दीस्थलों पर की जाती हैं। बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भगवान बदरी विशाल की उत्सव मूर्ति को विशेष विधि-विधान के साथ पांडुकेश्वर के योग ध्यान बदरी मंदिर में स्थापित किया जाता है। वहीं, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी शीतकाल के लिए जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में विराजमान होती है। यह परंपरा न केवल धार्मिक भावना का प्रतीक है, बल्कि उत्तराखंड की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत रखती है।
सरकार और जीएमवीएन के इस निर्णय से न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी, बल्कि शीतकाल के दौरान स्थानीय होटलों, व्यापारियों, टूर ऑपरेटरों और गाइडों को भी प्रत्यक्ष लाभ पहुंचेगा। पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय सालभर धार्मिक पर्यटन” की अवधारणा को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। गढ़वाल मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक विशाल मिश्रा ने कहा कि सीएम के निर्देशों के क्रम में शीतकालीन यात्रा को सफल और आकर्षक बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। निगम ने अपने होटल और गेस्ट हाउसों में मौजूदा दरों पर 50 फीसदी तक की छूट देने का निर्णय लिया है ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु व पर्यटक शीतकालीन यात्रा में सम्मिलित हो सकें। प्रदेश सरकार का उद्देश्य है कि चारधाम यात्रा केवल छह महीनों तक सीमित न रहे, बल्कि शीतकाल में भी धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन मिले। पिछले कुछ वर्षों में शीतकालीन यात्रा के प्रति श्रद्धालुओं का रुझान तेजी से बढ़ा है और अब सरकार इस यात्रा को राज्य की स्थायी धार्मिक-पर्यटन परंपरा के रूप में स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है।
