उत्तराखंड

‘मेरी राजधानी गैरसैंण’ से शुरू हुआ डिजिटल आन्दोलन युग।

स्थायी राजधानी आन्दोलन के लिए फेसबुक फ्रेम बना मंच।

सुमित जोशी।

रामनगर। गैरसैंण मुद्दे पर भले ही इन सड़कों पर आन्दोलन न हो रहा हो और राजनीतिक दल इस विषय पर सियासत करते आए हो। लेकिन राज्य की जनता और खासकर युवा वर्ग में इसको भाव और उम्मीद अभी भी कम नहीं हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक में ‘मेरी राजधानी गैरसैंण’ नाम का प्रोफाइल फ्रेम काफी चर्चाओं में है। इस फ्रेम से अप्रत्यक्ष रूप से ही सही पर गैरसैंण को राजधानी बनाने के आन्दोलन के लिए युवाओं को एक मंच मिल गया है। यही कारण है की दो दिन में ही एक हजार से ज्यादा फेसबुक यूजर्स इस फ्रेम को इस्तेमाल कर चुके हैं। इसका सबसे ज्यादा क्रेज राज्य के युवा वर्ग में नजर आ रहा है। सरकार के सामने अपनी मांग रखने के लिए सोशल मीडिया एक सबसे अच्छा माध्यम बन गया है। उत्तराखंड में डिजिटल आंदोलन के युग का आरम्भ होता भी नजर आ रहा है।

गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी बनाने का मामला  राज्य बनने के बाद से ही यहां की राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है। इस मुद्दे पर कई आन्दोलन भी हो चुके हैं लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द्र अग्रवाल भी त्रिवेन्द्र रावत सरकार से इस विषय का स्थायी हल निकाल कर इस पर पूर्ण विराम लगाने की बात कह चुके हैं लेकिन सरकार अभी तक इस पर अपना रूख स्पष्ट नहीं कर पाई है। मगर सरकार को जगाने के लिए अब राज्य के एक युवा ने स्थायी राजधानी के मुद्दे को सोशल मीडिया को मंच से उठाने का प्रयास किया है। ये पहल उधमसिंह नगर जिले के खटीमा के रहने वाले 24 वर्षीय अमन अग्रवाल ने की है। अमन ने कम्प्यूटर साइंस में बीटेक किया है और वे इन दिनों खटीमा के शिशु भारती स्कूल में कम्प्यूटर के शिक्षक है। अमन अग्रवाल की हमारे साथ फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि गैरसैंण पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के बीते दिनों स्थायी राजधानी न बनाने के बयान से ये मुद्दा ज्यादा तूल पकड़ चुका है और इन दिनों सोशल मीडिया में इस मुद्दे पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया भी देखने को मिल रही है और खासकर युवा वर्ग इस बहस में खासा मुखर है। तो इन्हीं सब चीजों को देखते हुए स्थायी राजधानी के आन्दोलन को एक नया रूप देने के लिए उन्होंने ये प्रयास किया। उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव से पहले भाजपा कांग्रेस सरकार को लगातार स्थायी राजधानी के मुद्दे पर घेरती रही है और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने सत्ता में आते ही स्थायी राजधानी के मुद्दे पर हल निकालने की बात कही थी। लेकिन सरकार बनने के बाद उनके स्वर भी बदल गए। सरकार को पहाड़ के हित और यहां के युवाओं के हितों का ध्यान रखते हुए स्थायी राजधानी के मुद्दे पर हल निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थायी राजधानी के आन्दोलन में उनका ये प्रयास एक आहूति मात्र है। और दो दिन में जिस प्रकार युवाओं ने इस फ्रेम का प्रयोग किया है उससे ये लगता है कि अब युवा भी राजधानी के मुद्दे पर हल चाहता है। इसके अलावा एक समाचार पत्र समूह ने अमन को उत्तराखंड उदय उत्सव में 4 नवम्बर को बेस्ट क्रियेटिव यूथ ऑफ उत्तराखंड का अवार्ड भी मिल चुका है।

*गूगल ने भी मांगे थे अमन से सुझाव।*

-: अमन अग्रवाल ने बीते कुछ महीने पहले ‘हम उत्तराखंडी छौ’ शीर्षक का फेसबुक फ्रेम तैयार किया था। जिसे करीब दो लाख लोगों ने प्रयोग किया और उसके व्यूअरों की संख्या एक करोड़ थी। जिसके बाद  विश्व के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने अमन को आमंत्रित किया था। गूगल के साथ अमन ने अपने सुझाव साझा किये। उन्होंने गूगल के सामने तीन सुझाव रखे। गूगल आम तौर पर हिन्दी-अंग्रेजी भाषा ही लेता है। और गूगल इन्हीं भाषा की साइट्स को विज्ञापन देता है। जिस पर उन्होंने का कि अन्य प्रांतीय भाषाओं को समझने के लिए तैयार करें। जिससे उन क्षेत्रीय साइट्स को भी विज्ञापन जारी हो सके। इसके अलावा क्षेत्रीय अखबारों को भी वेबसाइट बनाने और उसमें ई-पेपर भी उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित करें। इसके अलावा गूगल अपना रिफ्रेशमेंट जोन पहाडों में बनाए। इसके साथ ही अमन ने पहाड़ी फल काफल को लेकर एक फेसबुक फ्रेम तैयार किया था। जो काफी प्रयोग किया गया।

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