उत्तराखंड

वन संरक्षक ने अधिकारियों को लगाई कड़ी फटकार

तुंगनाथ घाटी में हो रहे अतिक्रमण पर रोक लगाने के निर्देश

रुद्रप्रयाग। नन्दा देवी पार्क जोशीमठ के वन संरक्षक मान सिंह ने तुंगनाथ घाटी के यात्रा पड़ाव और बुग्यालों में हुए अतिक्रमण की जांच कर केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग एवं वन विभाग अगस्त्यमुनि रंेज के अधिकारी-कर्मचारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए घाटी में हो रहे अतिक्रमण पर रोक लगाने के निर्देश दिये।

रविवार को नन्दादेवी पार्क जोशीमठ के वन संरक्षक मान सिंह ने तंुगनाथ घाटी के चोपता, दुगलबिट्टा, पंगैर, बनियाकुंड एवं मक्कूबैण्ड यात्रा पडावों एवं बुग्यालों में हुए अतिक्रमण का स्थलीय निरीक्षण कर राष्ट्रीय सहारा से एक मुलाकात में कहा कि वन पंचायत उषाड़ा व मक्कू की लापरवाही से बुग्यालों में अवैध अतिक्रमण हुआ है। उन्होने कहा कि वन अधिनियम 2001 व 2005 के तहत वन पंचायत सरपंचांे को सिर्फ ग्रामीणांे को सूखी लकड़ी, घास व चारा काटने की अनुमति देने का प्रावधान है, मगर दोनों वन पंचायत सरपंचांे ने बुग्यालों में टेंन्ट लगाने की अनुमति देकर वन अधिनियम का खुला उल्लंघन किया है। उन्हांेने बताया कि चोपता से लेकर मक्कूबैण्ड तक जो अवैध कब्जे हुए हैं, उसकी रिर्पोट पन्द्रह दिन के भीतर शासन को भेजी जायेगी और शासन के निर्देशानुसार अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने बताया कि दोनों वन पंचायत सरपंचांे के बीस वर्षों का सत्यापन किया जायेगा और दोषी पाये जाने पर उचित कार्यवाही की जायेगी।

उन्होंने कहा कि तंुगनाथ घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने व स्थानीय बेरोजगारों कों इक्को टूरिज्म से जोड़ने के भरसक प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि तंुगनाथ घाटी के अन्तर्गत जो राजस्व ग्राम है उन राजस्व ग्रामों को पर्यटक ग्रामों के रूप में विकसित करने की कार्य योजना तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि तुंगनाथ घाटी के पर्यावरण और यहां की सुन्दरता को बचाने के लिए सामूहिक पहल की जायेगी। साथ ही उन्होंने केदारनाथ वन्य जीव प्रभाव एवं वन प्रभाग अगस्त्यमुनि रंेज के अधिकारियों को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि यदि बुग्यालों में हो रहे अतिक्रमण पर रोक नहीं लगाई गई तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्यवाही की जायेगी। इस मौके पर वन अधिकारी अमित, उप प्रभागीय वनाधिकारी शिवलाल, रेज अधिकारी, राजेन्द्र प्रसाद डिमरी, राजेन्द्र सिह रावत सहित कई अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।

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