उत्तराखंड

सेहतमंद भविष्य के लिए जरूर खिलाएं कृमि नाशक दवा

सेहतमंद भविष्य के लिए जरूर खिलाएं कृमि नाशक दवा , जनपद में निजी व सहायता प्राप्त विद्यालयों की एनडीडी कार्यशाला संपन्न
दस अगस्त को है राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस , बच्चों को स्वच्छता से जुड़े सही व्यवहार के प्रति प्रोत्साहित करने पर दिया जोर

रुद्रप्रयाग। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत आयोजित जनपद के निजी एवं राजकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व प्रधानाचार्यों की कार्यशाला में बच्चों के सेहतमंद भविष्य के लिए संपूर्ण लक्षित आयुवर्ग को कृमि नाशक दवा (एलबेन्डाजोल) खिलाने पर जोर दिया गया और कृमि संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वच्छता से जुड़े सही व्यवहार प्रति बच्चों को प्रेरित करने की वकालत की गई।  अपर जिलाधिकारी गिरीश चंद्र गुणवंत की अध्यक्षता में जिला सभागार में आयोजित कार्यशाला में दस अगस्त को प्रस्तावित राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) का निजी विद्यालयों में सफल आयोजन को लेकर चर्चा की गई। श्री गुणवंत ने कहा कि कृमि के संक्रमण से न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है व इससे उनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है। इसलिए सरकारी स्कूलों के साथ-साथ निजी विद्यालयों के प्रबंधन का भी दायित्व है कि बच्चों के सेहतमंद भविष्य के लिए 10 अगस्त को उन्हें कृमिनाशक दवा (एलबेंडाजोल) अवश्य खिलाएं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ एसके झा ने समस्त प्रधानाध्यापकों व प्रधानाचार्यों से एनडीडी के सफल आयोजन के लिए सहयोग की अपील की। उन्होंने कृमिनाशक दवा खिलाने के साथ-साथ बच्चों में स्वच्छता का गुण विकसित करने को भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने राजकीय विद्यालयों की भांति निजी स्कूल प्रबंधन से संकूल स्तर से दवा प्राप्त करने की भी अपील की।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ ओपी आर्य ने राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कृमि मानव शरीर के जरूरी पोषक तत्वों को खाते हैं, जिससे मनुष्य में खून की कमी, कुपोषण और वृद्धि में रूकावट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं, उन्होंने कहा कि तीव्र संक्रमण से कमजोरी, भूख न लगना, खून की कमी, कुपोषण, मितली, पेट दर्द, उल्टी, दस्त, थकान जैसे लक्षण होते हैं वहीं हल्के संक्रमण वाले बच्चों में आम तौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। डा0 आर्य ने बताया कि कृमि संक्रमण से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है, जिससे भविष्य में उनकी कार्यक्षमता और औसत आय में भी कमी आ सकती है। उन्होंने बताया कि कृमि नियंत्रण के लिए 10 अगस्त को स्कूल व आंगनबाड़ियों में 01 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। उन्होंने एक से दो वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली चूरा करके खिलाने, तीन से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक गोली खिलाई जानी है। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि जो बच्चा बीमार है या अन्य कोई दवाई ले रहा है उसे दवा न दें। दस अगस्त को दवा खाने से छूट गए बच्चों को माॅप-अप डे 17 अगस्त को दवा खिलाने व अभियान की अनिवार्य रिर्पोटिंग करने की अपील की।

जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक एलएस दानू ने कहा कि अभियान को सफल बनाने में सामुदायिक जागरूकता बेहद जरूरी है। उन्होंने निजी व राजकीय सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रबंधक, प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापकों से सभी बच्चों की स्कूल डायरी में दस अगस्त को एनडीडी आयोजन की सूचना लिखने, पेंटिंग, चित्रकला आदि स्पर्धाएं आयोजित करवाने की अपील की। इस अवसर पर समस्त प्रतिभागियों को प्रचार-प्रसार सामग्री भी वितरित की गई।

इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक श्री वीएस चतुर्वेदी, डीपीएम श्री हिमांशु नौडियाल, आरकेएसके काउंसलर श्री विपिन सेमवाल, जिला आईईसी समन्वयक श्री हरेंद्र सिंह नेगी आदि मौजूद रहे।

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