उत्तराखंड

होमस्टे योजना बनी तीर्थ और पर्यटन का मजबूत सहारा, 6 हजार से अधिक गृह आवासों से बढ़ा स्थानीय रोजगार..

होमस्टे योजना बनी तीर्थ और पर्यटन का मजबूत सहारा, 6 हजार से अधिक गृह आवासों से बढ़ा स्थानीय रोजगार..

 

 

उत्तराखंड: धामी सरकार ने चारधाम यात्रा मार्गों पर तीर्थयात्रियों को ठहरने की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है। योजना के तहत यात्रा मार्गों से सटे गांवों में होमस्टे को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को न केवल आवास मिल सके, बल्कि ग्रामीणों की आय के नए रास्ते भी खुलें। सरकार की ओर से हर घर से एक कमरा होमस्टे के रूप में तैयार कराने की दिशा में प्रयास किया जायेगा। सरकार की ओर से आतिथ्य (हॉस्पिटैलिटी) का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही ग्रामीणों को बागवानी और पशुपालन जैसे पारंपरिक व्यवसायों से जोड़ने में भी मदद की जाएगी। चारधाम यात्रा को आत्मनिर्भर और स्थानीय सहभागिता आधारित बनाना, जिससे न केवल तीर्थयात्रियों को सुविधा मिले, बल्कि ग्रामीणों को स्वरोजगार और पर्यटन से सीधे जोड़कर आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके।

प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2018 में शुरू की गई दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होमस्टे) योजना अब राज्य में पर्यटन और स्थानीय आजीविका का मजबूत आधार बन चुकी है। इस योजना के तहत अब तक 6000 से अधिक होमस्टे प्रदेशभर में खोले जा चुके हैं, जो न सिर्फ तीर्थयात्रियों को कम लागत में ठहरने की सुविधा दे रहे हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय रोजगार भी सृजित कर रहे हैं। चारधाम यात्रा के दौरान आने वाले श्रद्धालु होमस्टे में ठहरकर सस्ते, सुरक्षित और आत्मीय वातावरण का अनुभव ले रहे हैं। पर्यटक उत्तराखंड की लोक संस्कृति, खानपान और पारंपरिक जीवनशैली से भी रूबरू हो रहे हैं। इससे पहाड़ी गांवों में आर्थिक गतिविधियों और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला है। पर्यटन विभाग अब इस योजना को और व्यापक बनाने की तैयारी में है। चारधाम यात्रा मार्गों के गांवों में प्रत्येक घर से कम से कम एक कमरा होमस्टे के लिए आरक्षित करने की योजना है। साथ ही ग्रामीणों को हॉस्पिटैलिटी, बागवानी और पशुपालन का प्रशिक्षण देकर समग्र विकास मॉडल अपनाया जाएगा।

चारधाम यात्रा को व्यवस्थित और स्थानीय रोजगारमुखी बनाने की दिशा में उत्तराखंड सरकार ने एक और ठोस पहल की है। अब यात्रा मार्गों पर ऐसे भीड़भाड़ वाले स्थानों को चिह्नित किया जाएगा, जहां पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या अधिक रहती है। इन स्थानों के आसपास स्थित सड़क से सटे गांवों को होमस्टे क्लस्टर के रूप में विकसित किया जाएगा। हर घर से कम से कम एक कमरा होमस्टे के रूप में आरक्षित कराने का प्रयास किया जायेगा। गांवों को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता देकर स्थानीय लोगों को सशक्त बनाया जायेगा। साथ ही होमस्टे संचालकों को कौशल विकास प्रशिक्षण, बागवानी, पशुपालन और घरेलू उत्पाद निर्माण जैसे आजीविका के साधनों से जोड़ा जाएगा। इस योजना को सफल बनाने के लिए पर्यटन विभाग, बागवानी विभाग, पशुपालन विभाग और कौशल विकास विभाग आपस में समन्वय बनाकर काम करेंगे। इसका उद्देश्य है कि स्थानीय समुदाय न केवल पर्यटन का लाभ ले बल्कि दीर्घकालिक रूप से आत्मनिर्भर भी बने।

पिथौरागढ़ के नाभी व कुटी गांव सफल रहा प्रयोग..

चारधाम यात्रा को अधिक व्यवस्थित, आत्मनिर्भर और ग्रामीण रोजगार उन्मुख बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार अब पिथौरागढ़ जिले के सफल मॉडल को राज्य भर में लागू करने की दिशा में बढ़ रही है। पिथौरागढ़ के नाभी और कुटी गांवों में सरकार ने होमस्टे, बागवानी और पशुपालन को मिलाकर एकीकृत विकास मॉडल शुरू किया था, जो बेहद सफल रहा। इन गांवों के परिवारों को होमस्टे संचालन के साथ-साथ बागवानी और पशुपालन से सालाना 80 लाख रुपये तक की आमदनी हो रही है। इस तर्ज पर चारधाम यात्रा मार्गों में होमस्टे को बढ़ावा दिया जाएगा। चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं व अन्य पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं देना सरकार की प्राथमिकता है। चारधाम यात्रा मार्गों पर सड़क सटे गांवों में होमस्टे को बढ़ावा देने पर पर्यटन के साथ अन्य विभाग एकीकृत योजना के तहत काम करेंगे। इससे पर्यटकों को ठहरने की सुविधा मिलेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

 

 

 

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