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धनतेरस के अवसर पर करें ये खास उपाय, खुल जाएंगे धन आगमन के द्वार..

धनतेरस के अवसर पर करें ये खास उपाय, खुल जाएंगे धन आगमन के द्वार..

 

 

देश-विदेश: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस का त्योहार 5 दिनों तक चलने वाले दिवाली का पहला दिन होता है। हिंदू धर्म में धनतेरस का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के ही दिन भगवान विष्णु के अंशावतार और देवताओं के वैद्य माने जाने वाले भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। धनतेरस से दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है। दिवाली पर पांच दिनों तक चलने वाले पर्व में सबसे पहले धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी, तीसरे दिन दिवाली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवें दिन भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है। धनतेरस को साल भर में पड़ने वाले सभी श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। धनतेरस पर शुभ कार्य करने और शुभ खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। धनतेरस पर सोने -चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदने की परंपरा होती है। इसके साथ ही धनतेरस पर कार, बाइक, जमीन-जायदाद और कपड़े की खरीदारी करना शुभ माना जाता है।

धनतेरस शुभ तिथि..
वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से आरंभ हो जाएगी। इस त्रयोदशी तिथि का समापन 11 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर धनतेरस का पर्व 10 नवंबर, शुक्रवार को प्रदोषकाल में मनाया जाएगा।

धनतेरस लक्ष्मी पूजा मुहूर्त..
धनतेरस का त्योहार दिवाली से पहले मनाया जाता है। यह 5 दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव का पहला दिन होता है। धनतेरस पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा करने का विधान होता है। धनतेरस पर यम देवता की पूजा और घर के दक्षिण दिशा में दीपक जलाया जाता है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 05 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा जो शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।

धनतेरस प्रदोष काल और वृषभ काल का मुहूर्त..
धनतेरस पर प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार 10 नवंबर को शाम 05 बजकर 30 मिनट से प्रदोष काल आरंभ हो जाता है। आपको बता दें कि सूर्यास्त होने के बाद समय प्रदोष काल कहलाया जाता है। 10 नवंबर को प्रदोष काल रात 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। वहीं वृषभ काल की बात करें तो शाम 05 बजकर 47 मिनट से शाम 07 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

धनतेरस पर दुर्लभ संयोग..
इस बार धनतेरस पर बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है जिस कारण से धनतेरस का त्योहार काफी खास हो जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार धनतेरस पर चंद्रमा कन्या राशि में होंगे जहां पर पहले से सुख, समृद्धि और भौतिक सुख प्रदान करने वाले ग्रह शुक्र देव विराजमान है। इस तरह से धनतेरस पर कलात्मक नाम का योग बन रहा है। इसके साथ ही 10 नवंबर को धनतेरस पर शुभकर्तरी, वरिष्ठ, सरल, सुमुख और अमृत योग बन रहा है। ऐसे में धनतेरस पर खरीदारी करना बहुत ही शुभ रहेगा।

धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने का शुभ मुहूर्त..
धनतेरस पर बर्तन और सोने-चांदी के आभूषण की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। वैदिक पंचांग गणना के अनुसार धनतेरस पर बर्तन और सोने-चांदी के अलावा वाहन, जमीन-जायदाद के सौदे, लग्जरी चीजें और घर में काम आने वाले अन्य दूसरी चीजों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 11 नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।

धनतेरस का महत्व..
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर समुद्र मंथन के दौरान अपने हाथों में अमृत कलश लेकर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंशावतार माना जाता है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद चिकिस्सा पद्धति का जनक भी माना जाता है। धनतेरस के त्योहार को धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के देवता हैं और धन त्रयोदशी पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करने पर आरोग्यता मिलती है। साथ ही धनतेरस के दिन खरीदारी करने पर आगे चलकर इसमें 13 गुने की वृद्धि होती है। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा में गाय के घी से दीपक जलाएं। फिर पूजा सामग्री में औषधियां चढ़ाएं।

धनतेरस पर सोना-चांदी और बर्तन क्यों खरीदें जाते हैं?
शुक्रवार, 10 नवंबर को धनतेरस है और इस दिन से दीपावली की शुरुआत हो जाती है। धनतेरस पर ही भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस कारण से धनतेरस पर बर्तन और सोने-चांदी के सिक्के और आभूषण खरीदने की परंपरा है। भगवान धन्वंतरि को देवताओं के वैध और आयुर्वेद का जनक माना जाता है। धनतेरस पर सोने-चांदी के सिक्के, गहने और बर्तन के आदि की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा धनतेरस पर भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा ओर मंत्रोचार किया जाता है।

 

 

 

 

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