उत्तराखंड

जल संचय और जलधाराओं के पुनर्जीवीकरण पर जोर..

जल संचय और जलधाराओं के पुनर्जीवीकरण पर जोर..

सीएम धामी ने अफसरों को दिये निर्देश..

 

 

 

 

उत्तराखंड: 22 मार्च को हर साल विश्व जल दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य जल संचय और संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इसी क्रम में शुक्रवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सिंचाई, लघु सिंचाई और ग्रामीण निर्माण विभाग से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा बैठक की। बैठक में सीएम धामी ने निर्देश दिए कि प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण और संवर्द्धन – जल संसाधनों को बचाने के लिए बड़े स्तर पर काम किया जाए। जल संचय तालाबों, झीलों, और जलधाराओं को पुनर्जीवित करने के प्रयास हों। गाद-गदेरों का पुनर्जीवन और छोटे जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। सीएम ने कहा कि जल ही जीवन और समृद्धि का आधार है, इसलिए इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सिंचाई, लघु सिंचाई विभाग और नगर निगमों को शहरी क्षेत्रों में बारिश जल संचय के लिए मिलकर काम करने की बात कही। उन्होंने खासतौर पर शहरी क्षेत्रों में बारिश के जल संचय और ग्राउंड वाटर रिचार्ज पर जोर दिया। शहरी क्षेत्रों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए संबंधित विभागों को मिलकर काम करने को कहा। साथ ही भूमिगत जल स्तर बनाए रखने के लिए विशेष योजनाएं लागू करने के निर्देश। नवाचार को अपनाने पर ध्यान दें। पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ नई तकनीकों और आधुनिक उपायों पर भी ध्यान देने को कहा।जमरानी और सौंग बांध परियोजनाओं में तेजी लाने के निर्देश सीएम धामी ने दिए। सीएम धामी ने कहा ड्रेनेज की समस्याओं के समाधान के लिए तेजी से काम किया जाये। चैक डेम के निर्माण की दिशा में भी तेजी से काम करें।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जल संसाधनों के प्रभावी उपयोग और जल संरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। उन्होंने सिंचाई, खनन और नगर विकास विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने को कहा। सिंचाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए नहरों का रखरखाव और उनका अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के निर्देश। शहरी जल निकासी (ड्रेनेज) प्रणाली को सुधारने के लिए सभी शहरों में जलभराव रोकने और जल निकासी के समुचित प्रबंधन पर कार्य करने को कहा।सिंचाई विभाग और खनन विभाग को नदियों और जलाशयों में जमा सिल्ट (गाद) को निकालने के लिए बैठक आयोजित कर समाधान निकालने को कहा। इससे नदियों की जलधारण क्षमता बढ़ेगी और बाढ़ जैसी समस्याओं पर नियंत्रण रहेगा।जमरानी बांध बहुद्देशीय परियोजना को मार्च 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना में 3638 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत है। जिसमें से 678 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसी तरह सौंग बांध परियोजना पर भी काम चल रहा है, जिसको मार्च 2030 तक पूरा करना है।

 

 

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top