पूर्व सैनिक सम्मेलन में सीएम धामी का बड़ा एलान, कहा- सैनिकों का सम्मान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता..
उत्तराखंड: राज्य गठन की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रदेशभर में रजत जयंती वर्ष उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी क्रम में गुरुवार को सैनिक कल्याण विभाग की ओर से हल्द्वानी में भव्य पूर्व सैनिक सम्मेलन आयोजित किया गया। कार्यक्रम में दो से तीन हजार पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। राज्य सरकार द्वारा रजत जयंती वर्ष को देवभूमि के गौरव, समर्पण और एकता के प्रतीक के रूप में मनाया जा रहा है। देहरादून से लेकर सभी जिलों में विभिन्न विभागों द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य राज्य के विकास में हर वर्ग के योगदान को सम्मान देना है।हल्द्वानी में आयोजित पूर्व सैनिक सम्मेलन में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और राज्य सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। कार्यक्रम में सैन्य परंपराओं और उत्तराखंड के वीर जवानों की बहादुरी का भावनात्मक स्मरण किया गया। सैनिक कल्याण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड जैसे वीरभूमि राज्य में पूर्व सैनिक समाज का योगदान अतुलनीय है। राज्य सरकार उनके हितों की रक्षा और सुविधाओं के विस्तार के लिए निरंतर प्रयासरत है। कार्यक्रम में उपस्थित पूर्व सैनिकों ने कहा कि रजत जयंती वर्ष में सरकार द्वारा यह आयोजन उनके सम्मान और योगदान के प्रति राज्य की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
सैनिक कल्याण विभाग द्वारा हल्द्वानी में आयोजित भव्य पूर्व सैनिक सम्मेलन में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शिरकत की। इस अवसर पर सीएम ने पूर्व सैनिकों और वीरांगनाओं पर पुष्प वर्षा कर उनका अभिनंदन किया। कार्यक्रम में दो से तीन हजार पूर्व सैनिकों एवं उनके परिजनों ने भाग लिया, जिससे पूरा परिसर देशभक्ति और सम्मान की भावना से गूंज उठा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि रजत जयंती वर्ष में पूर्व सैनिकों का यह सम्मेलन देवभूमि के उन वीरों को नमन करने का अवसर है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित किया। सीएम धामी ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड की पहचान सैनिकों से है। मैं स्वयं सैनिक परिवार से हूं, बचपन से हमारे जीवन में वर्दी के प्रति गर्व और देशसेवा का भाव रहा है। ऐसे वीरों और वीरांगनाओं के बीच आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि सैनिक कल्याण विभाग द्वारा इस सम्मेलन का आयोजन राज्य की वीर परंपरा और शौर्यगाथा को सलाम करने के उद्देश्य से किया गया है। सीएम ने पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार उनके सम्मान और सुविधा के लिए निरंतर कार्य कर रही है। सीएम के संबोधन के दौरान उपस्थित पूर्व सैनिकों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘जय उत्तराखंड’ के जयघोष के साथ कार्यक्रम स्थल को देशभक्ति के माहौल में रंग दिया।
उन्होंने कहा कि बर्फीले पहाड़ों की चोटियां हों या कश्मीर की घाटियां, हमारे सैनिकों ने अपना लहू बहा कर तिरंगे को लहराने का काम किया है। उन्होंने कहा कि देवभूमि आध्यात्मिकता की ही नहीं, बल्कि शौर्य, बलिदान, पराक्रम और कर्तव्यनिष्ठा की धरती है। यह वही धरती है, जहां हर घर से एक बेटा सरहद में तैनात है। उन्होंने कहा कि सैनिक की शहादत का कोई मोल नहीं होता है, लेकिन हमारी सरकार ने शहादत देने वाले वीर के परिवार की सहायता धनराशि को 10 लाख से बढ़ा कर 50 लाख रुपए कर दिया है। उन्होंने भूतपूर्व सैनिकों के दाह संस्कार के लिए 10 हजार रुपए की सहायता राशि देने का भी ऐलान किया। उन्होंने कहा कि वीरता पुरस्कार से सम्मानित सैनिकों को मिलने वाली राशि में ऐतिहासिक वृद्धि की है। युद्ध विधवा और युद्ध अपंग सैनिकों को दो लाख रुपए आवासीय सहायता देने का निर्णय लिया है। उत्तराखंड ऐसा प्रदेश है जो सैनिकों को 25 लाख की संपत्ति खरीद पर स्टांप ड्यूटी पर 25 प्रतिशत की छूट दे रहा है। उत्तराखंड सरकार ने शहीद के परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी में समायोजित करने का ही फैसला लिया है। शहीदों के सम्मान में सैन्य धाम बनाया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर भी हमला बोला है।