उत्तराखंड

मुख्यमंत्री के ओएसडी दीपक डिमरी नहीं रहे, कैंसर से पीड़ित थे दीपक

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) दीपक डिमरी कैंसर से जिंदगी की जंग हार गए। वे महज़ चालीस साल के थे। कैंसर के बावजूद वह मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्य करते रहे।

दीपक डिमरी कैंसर से पीड़ित थे। प्रबल इच्छाशक्ति और राज्य के प्रति समर्पण के चलते निधन से 14 दिन पहले तक वह मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्य कर रहे थे। देहरादून के मिलन विहार स्थित आवास पर उनका पार्थिव शरीर रखा गया है। दीपक डिमरी मरने से पहले बड़ा पुनीत काम कर गए। उन्होंने देह और नेत्रदान का पुनीत संकल्प लिया था।

कैंसर के बावजूद प्रदेश की करते रहे सेवा
दीपक डिमरी मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के विकासखंड जखोली के स्वीली सेम गांव (भरदार) के निवासी थे। मौजूदा समय में वह सीएम त्रिवेंद्र रावत के विशेष कार्याधिकारी थे। दीपक डिमरी ने यह मुकाम अपनी लगन, स्वच्छ छवि और समाजसेवा की भावना के रहते हासिल किया था। श्री डिमरी तीसरी बार सीएम के ओएसडी बने थे। इससे पहले वह खंडूड़ी सरकार और फिर निशंक सरकार में भी ओएसडी रहे। सबसे अहम बात यह है कि गंभीर बीमारी से जूझने के बावजूद श्री डिमरी राज्य के विकास योजनाओं व ग्रामीणों के चहुंमुखी विकास का संकल्प लिए कार्य कर रहे थे। महज़ चालीस साल की उम्र में ही उन्होंने समाज व प्रदेश सेवा में अच्छा-खासा मुकाम हासिल कर दिया था।

दीपक डिमरी ने 1998 में संघ के प्रचारक के रूप में काम करना शुरू किया था। उन्होंने पौड़ी, पिथौरागढ़, देहरादून और चम्पावत में संघ प्रचारक के रूप में काम किया। सरल स्वभाव व मृदुभाषी दीपक की स्वच्छ छवि का परिणाम रहा कि उन्हें 2007 में भाजपा की सरकार बनने के बाद तत्कालीन सीएम मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी में सीएम का विशेष कार्याधिकारी यानी ओएसडी चुना गया। भाजपा के सीएम निशंक के कार्यकाल में भी दीपक डिमरी पर ही भरोसा किया गया। यह उनकी स्वच्छ छवि, कर्मठता और पार्टी तथा समाज के प्रति समर्पण भाव ही है कि अब तीसरी बार त्रिवेंद्र सरकार में भी यह अहम भूमिका उन्हें ही अदा करने की जिम्मेदारी दी गई।
चमोली से इंटर और ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय से बीएससी और एमए किया। अपने पिछले कार्यकाल के दौरान दीपक डिमरी ने रुद्रप्रयाग के विकास में अहम भूमिका अदा की थी।

वह पार्टी के एकमात्र ऐसे कार्यकर्ता थे, जिन्होंने प्रदेश के चप्पे चप्पे में भाजपा प्रत्याशियों के लिए काम किया। उनकी कार्य करने की क्षमता और जनता से सीधे जुड़ने की काबिलियत के कारण चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं के बीच वह पहली पसंद रहे। लोकसभा चुनाव में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जब वह केंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे थे तो उनका कहना था कि उनका जीवन प्रदेश और रुद्रप्रयाग के काम आ रहा है, यही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।

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