उत्तराखंड

उत्तराखंड के 24 लाख बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत, जनवरी के बिलों में मिलेगी सीधी छूट..

उत्तराखंड के 24 लाख बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत, जनवरी के बिलों में मिलेगी सीधी छूट..

 

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश के 24 लाख बिजली उपभोक्ताओं को नई साल से पहले बड़ी राहत दी है। आयोग ने फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट (एफपीपीसीए) के तहत 50.28 करोड़ रुपये का समायोजन उपभोक्ताओं को लौटाने का आदेश दिया है। इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को जनवरी 2025 के बिजली बिलों में दिखाई देगा। अप्रैल से जून की तिमाही के लिए यूपीसीएल ने वास्तविक बिजली खरीद लागत और अनुमानित लागत के आधार पर एफपीपीसीए की गणना करते हुए नियामक आयोग में पिटीशन दाखिल की थी। जांच में पाया गया कि इस अवधि में बिजली खरीदने की वास्तविक लागत अनुमान से कम रही। जिसके बाद आयोग ने 50.28 करोड़ रुपये का नकारात्मक एफपीपीसीए स्वीकृत कर दिया है।

इस फैसले से घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक तीनों श्रेणी के उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। जनवरी के बिलों में स्वचालित रूप से बिजली खपत के अनुसार कटौती लागू हो जाएगी। बिजली दरों में लगातार उतार-चढ़ाव के बीच यह राहत उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है। ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि नकारात्मक एफपीपीसीए का मतलब है कि जिस दर पर बिजली खरीदने का अनुमान लगाया गया था, उससे कम कीमत पर बिजली मिलने पर बचत की राशि उपभोक्ताओं को वापस की जाती है। यूपीसीएल का कहना है कि वास्तविक लागत के आधार पर पारदर्शिता बनाते हुए ही पिटीशन दायर की गई थी, जबकि आयोग ने उपभोक्ता हितों को ध्यान में रखते हुए राहत देने का निर्णय लिया है।

इस मामले पर सुनवाई के दौरान आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद, सदस्य विधि अनुराग शर्मा और सदस्य तकनीकी प्रभात किशोर डिमरी ने यह भी स्पष्ट किया कि यूपीसीएल उपभोक्ताओं से एफपीपीसीए की वसूली दो महीने बाद करेगा। उदाहरण के तौर पर अप्रैल महीने का एफपीपीसीए जून की खपत पर लागू होगा और उसकी बिलिंग जुलाई में की जाएगी। उद्योग उपभोक्ताओं की मांग को ध्यान में रखते हुए आयोग ने यूपीसीएल को एक महत्वपूर्ण निर्देश भी जारी किया है। अब यूपीसीएल को हर महीने लागू होने वाला एफपीपीसीए पिछले महीने की 28 तारीख तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। इससे उपभोक्ताओं, विशेषकर औद्योगिक क्षेत्र को, बिलिंग पैटर्न और लागत में उतार-चढ़ाव की जानकारी पहले से मिल सकेगी।आयोग के अनुसार यह निर्णय उपभोक्ता हित और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम है। इससे घरेलू, व्यावसायिक और औद्योगिक सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं को न केवल आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि एफपीपीसीए की गणना और उसके प्रभाव को समझने में भी आसानी होगी। नए साल से पहले बिजली बिलों में होने वाली यह कटौती लाखों घरों और उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण राहत साबित होगी।

आयोग ने औसत बिजली खरीद दर 5.39 रुपये प्रति यूनिट मानी..

इस सुनवाई के दौरान आयोग ने यूपीसीएल की तरफ से बताई गई औसत स्वीकृत बिजली खरीद दर 5.39 रुपये प्रति यूनिट को भी स्वीकार कर लिया। आयोग ने स्पष्ट किया कि यूपीसीएल के बिजली खरीद आंकड़े समय–समय पर संशोधित होते रहते हैं और इन्हें बाद की तिमाही के एफपीपीसीए में समायोजित करना ही सही प्रक्रिया है। यूपीसीएल ने आयोग को कहा कि इस तिमाही में उपभोक्ताओं से 27.28 करोड़ रुपये की अधिक वसूली हो गई है। चूंकि संबंधित महीनों के ऑडिटेड रिकॉर्ड अभी उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए आयोग ने इस राशि को अस्थायी रूप से आगे की तिमाहियों में समायोजित करने की अनुमति दे दी है। साथ ही ऊर्जा निगम को इसका अलग रिकॉर्ड बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। निर्णय में यह भी साफ किया गया है कि यूपीसीएल उपभोक्ताओं से एफपीपीसीए की वसूली दो महीने बाद करेगा।

उदाहरण के तौर पर अप्रैल महीने का एफपीपीसीए जून की खपत पर लागू होगा और उसकी बिलिंग जुलाई में होगी। वहीं उद्योग उपभोक्ताओं की मांग के बाद आयोग ने यूपीसीएल को निर्देश दिया है कि हर महीने लागू होने वाला एफपीपीसीए पिछले महीने की 28 तारीख तक अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए, ताकि उपभोक्ताओं को पूरी जानकारी पारदर्शी रूप से मिलती रहे। सम्पूर्ण विश्लेषण, गणना और तथ्यात्मक समीक्षा के बाद आयोग ने जो अंतिम फैसला सुनाया है, उसके अनुसार जनवरी के बिजली बिलों में 50 करोड़ रुपये से अधिक की राहत प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देगी। यह निर्णय प्रदेश के लाखों उपभोक्ताओं के लिए आर्थिक रूप से बड़ी राहत साबित होने जा रहा है।

 

 

 

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