उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल की बेहतरी और श्रीनगर एनआईटी को सुमाड़ी में स्थापित करने के लिये पिछले कई वर्षों से प्रयासरत समाज सेवी मोहन काला ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर से मुलाक़ात कर पत्र सौंपा। उन्होंने एनआईटी का निर्माण जल्द से जल्द सुमाड़ी में शुरू करने की माँग की और श्रीकोट बेस अस्पताल को सेना या किसी निजी संस्थान को सौंपने की वकालत की।
गढ़वाल क्षेत्र के इस अस्पताल में हर रोज लाखों लोग अपने स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए आते हैं। लेकिन अस्पताल की वास्तविक स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि छोटे-छोटे स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए रेफर सेंटर के तौर पर इस्तेमाल होने वाला बेस अस्पताल आज खुद रेफर सेंटर बन गया है। आवश्यक चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ और तकनीशियनों की कमी से जूझते अस्पताल में ठप्प आवश्यक जांचों से कैसे मरीजों का इलाज होगा, ये एक बड़ा सवाल है।
इसे पहाड़ का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की 1 जनवरी 1989 में शुरू हुआ राजकीय बेस अस्पताल श्रीनगर की तुलना वर्तमान में आईसीयू में भर्ती किसी मरीज से की जाती है। प्रधानमंत्री ने श्री काला के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने उत्तराखंड सरकार को लिखा है कि बेस अस्पताल को सेना या किसी निजी संस्था को सौंपने के मामले में गंभीरता से विचार करते हुए भारत सरकार को जल्द से जल्द अपना प्रस्ताव भेंजे, ताकि हम उस पर कुछ बेहतर निर्णय ले सकें।
इस विषय पर समाज सेवी मोहन काला का कहना हैं कि प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्रालय से पत्र आने के बावजूद भी उत्तराखंड सरकार ने अभी तक इस विषय पर कोई संज्ञान नहीं लिया है। जिसे दिखते हुए कहा जा सकता हैं कि उत्तराखंड सरकार पहाड़ के विकास और पलायन को रोकने के लिए कितनी गंभीर है।
इसी कड़ी में हम लगातार सुमाड़ी में प्रस्तावित एनआईटी के लिए भी संघर्ष कर रहे है। उन्होंने पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर से भी मुलाकात की थी। जावडेकर ने भी उत्तराखंड सरकार को आदेश दिया था कि एनआईटी का निर्माण जल्द से जल्द शुरू किया जाय। लेकिन उत्तराखंड सरकार के कानों मे जू तक नहीं रेंग रहा है।
