उत्तराखंड

चारधाम यात्रा- यात्रा मार्गों पर होगी 10 हजार श्रद्धालुओं के ठहरने-खाने की व्यवस्था..

चारधाम यात्रा- यात्रा मार्गों पर होगी 10 हजार श्रद्धालुओं के ठहरने-खाने की व्यवस्था..

 

 

 

 

उत्तराखंड: चारधाम यात्रा के दौरान भीड़ प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए यात्रा के प्रवेश द्वार हरिद्वार, ऋषिकेश, विकासनगर, श्रीनगर और बड़कोट जैसे प्रमुख स्थानों पर 10,000 श्रद्धालुओं के ठहरने और खाने की व्यवस्था से यात्रा को अधिक सुव्यवस्थित और आरामदायक बनाया जा सकेगा। इस रणनीति से मुख्य धामों में अत्यधिक भीड़ बढ़ने पर श्रद्धालुओं को यात्रा पड़ाव में रोका जा सकेगा। जिससे उनकी सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित होगी। पिछले साल की भारी भीड़ से सीख लेते हुए, इस बार प्रदेश सरकार का भीड़ प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना एक सराहनीय कदम है। पिछले साल यात्रा मार्गों पर ट्रैफिक जाम और धामों में क्षमता से अधिक श्रद्धालुओं के एक साथ पहुंचने से व्यवस्थाएं कम पड़ गईं थी। इस बार सरकार इस समस्या को हल करने के लिए बेहतर रणनीति तैयार कर रही है। इससे यात्रा अधिक सुगम और सुरक्षित होगी।

गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय द्वारा चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर की गई पहली बैठक में भीड़ प्रबंधन को लेकर ठोस कदम उठाए गए हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, विकासनगर, श्रीनगर और बड़कोट में लगभग 10,000 तीर्थयात्रियों के ठहरने और खाने की व्यवस्था का निर्देश दिया गया है, जिससे अचानक भीड़ बढ़ने की स्थिति में यात्रा को सुचारू रूप से संचालित किया जा सके। इसके साथ ही पुलिस प्रशासन, लोक निर्माण विभाग और परिवहन विभाग के बीच समन्वय बनाकर यात्रा पड़ावों को चिह्नित करने की रणनीति बनाई जा रही है। इससे यातायात जाम की समस्या कम होगी और तीर्थयात्रियों को सुविधाजनक यात्रा का अनुभव मिलेगा।

पिछले साल 46 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन..

पिछले साल चारधाम यात्रा में 46 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने केदारनाथ, बद्रीनाथ , गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में दर्शन किए। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के पहले ही दिन 25,000 से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने से वहाँ की ठहरने की सीमित व्यवस्थाएँ अपर्याप्त साबित हुईं थी। केदारनाथ की भौगोलिक स्थिति और सीमित बुनियादी ढांचे के कारण वहाँ अधिक तीर्थयात्रियों को ठहराने की क्षमता नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए, इस बार सरकार यात्रा पड़ावों में भीड़ नियंत्रण और ठहरने की वैकल्पिक व्यवस्था कर रही है, ताकि धामों में अत्यधिक भीड़ इकट्ठी न हो और यात्री सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से दर्शन कर सकें।

 

 

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