उत्तराखंड

क्वीन ऑफ़ वैली ने चुनी अलग राह, विदेशी पर्यटकों को करा रही है प्रकृति की सैर

गढ़वाल विवि से बीएससी करने के बाद उच्च हिमालय में गाइड का काम कर रही अनामिका

आस्ट्रेलिया, जापान सहित भारत के विभिन्न राज्यों के आने वाले पर्यटकों का मागर्दशक बनी अनामिका

मनमोहन सिंधवाल

श्रीनगर। पहाड़ की बेटियों में हुनर और जुनून हो तो वह अपने के लिए खुद ही रास्ता तलाश कर लेती है। 22 वर्ष की अनामिका चौहान भी ऐसी ही बेटी है, जिसने गढ़वाल विवि के बिड़ला परिसर से बीएससी करने के साथ-साथ ट्रैकिंग और गाइड को अपना कैरियर चुना है। जो आज विश्व धरोहर वैली ऑफ प्लावर और उच्च हिमालय क्षेत्र के प्रकृति के नजारों का विदेशी पर्यटकों को सैर कराती है।बतौर गाइड वह कई विदेशी और भारतीय पर्यटकों को फूलों की घाटी की सैर करा चुकी हैं।

गढ़वाल विवि की छात्रा अनामिका चमोली जिले के भ्यूंडार गांव की रहनी है। वर्ष 2013 की आपदा में उनका गांव तबाह गया था। अब वह पुलना गांव में रहते है। यात्रा सीजन में उसके पिता विनोद चौहान घांघरिया में होटल चलाते है। आपदा प्रभावित होने के बाद भी अनामिका ने हिम्मत नहीं हारी और विगत एक साल से घांघरिया से गाइड का कार्य कर रही है। वह पहली छात्रा है, जो बीएससी करने के बाद अपने ही गांव में गाइड का कार्य कर रही है। वह पर्यटकों को फूलों की घाटी की सैर कराकर वहां पाई जाने वाली विभिन्न फूलों की बारे में जानकारी देती है। साथ ही अनामिका उच्च हिमालय क्षेत्र में उगने वाली विभिन्न वनस्पतियों की जानकारी भी पर्यटको को देती है। हर माह 200 से अधिक पर्यटको को गाइड कर उन्हें प्रकृति के क़रीब होने का अहसास दिलाती है।

अनामिका बताती है कि 11479 फीट की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी, 15 हजार की फ़ीट पर हेमकुंड साहिब और लगभग 17 हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित 32 किमी ट्रेक कागभूंसंडी ताल तक वह पर्यटकों को ले जाती है। उन्होंने कहा कि गांव के अन्य लोग भी इस तरह के काम करते है तो मैंने भी सोचा कि इस क्षेत्र को क्यूं न कैरियर के रूप में चुना जाय। कहा कि विदेशों एवं भारत के विभिन्न हिस्सों से आने वाले पर्यटकों के गाइड के रूप में काम करने में बेहतर अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया, जापान, बंगाली, दक्षिण भारत, भारत देश के विभिन्न हिस्सों आने वाले पर्यटकों को अभी तक सैर करा चुकी है।

वैली ऑफ क्वीन से पुकारते हैं पर्यटक

अनामिका बताती है कि एक बार जो पर्यटक आता है वह प्रकृति के सुंदर नजारों का दीवाना हो जाता है। पर्यटक यहां हर साल आने की बात कहते है। आपदा के बाद अब पर्यटको की तादाद भी बढ़ी है। जो पर्यटक दोबारा सैर करने आता है तो वैली ऑफ क्वीन नाम से उसे पुकारते है। पर्यावरण के जानकार देवराघवेन्द्र सिंह चौधरी बताते है कि अनामिका द्वारा क्षेत्र में गाइड का बेहतर कार्य कर रही है। जो गाइड ही नहीं बल्कि फूलों की घाटी में उगे विभिन्न प्रजाति के फूलो की जानकारी एवं उच्च हिमालय क्षेत्र में उगने वाली वनस्पतियों की बारे में जानकारी देती है। जबकि कई किमी पैदल चलकर पर्यटकों की सुगम यात्रा कराती है।

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