उत्तराखंड

नए साल से स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य..

नए साल से स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य..

 

 

उत्तराखंड: स्वास्थ्य विभाग के अधीन प्रदेश में संचालित सभी सरकारी अस्पतालों में आगामी 1 जनवरी से बायोमीट्रिक उपस्थिति व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू की जाएगी। इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्वास्थ्य महानिदेशक को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। सरकार के इस कदम का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता लाना और अस्पतालों में स्टाफ की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना है। गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अपने शासकीय आवास पर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण और सुधार को लेकर स्वास्थ्य विभाग की एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की।

बैठक के दौरान मंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रदेशभर के सभी राजकीय चिकित्सालयों में कार्यरत चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ, तकनीकी कर्मियों एवं अन्य सभी कर्मचारियों की बायोमीट्रिक उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अस्पतालों में समय पर डॉक्टरों और कर्मचारियों की उपलब्धता आम जनता के लिए अत्यंत आवश्यक है। बायोमीट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू होने से कर्मचारियों की उपस्थिति पर प्रभावी निगरानी रखी जा सकेगी और मरीजों को समय पर उपचार मिल सकेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

डॉ. धन सिंह रावत ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक बेहतर, सुगम और जनोन्मुखी बनाने के लिए विभाग के वरिष्ठ अधिकारी स्वयं जिलों में जाकर चिकित्सा इकाइयों का निरीक्षण करेंगे। निरीक्षण के दौरान अस्पतालों में उपलब्ध संसाधनों, दवाओं, उपकरणों, स्टाफ की स्थिति और मरीजों को दी जा रही सुविधाओं की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन अस्पतालों में कमियां पाई जाएंगी, वहां तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी। सरकार की प्राथमिकता है कि प्रदेश के दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों तक भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचें और किसी भी मरीज को इलाज के अभाव में परेशान न होना पड़े।

स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि बायोमीट्रिक प्रणाली को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाए और इसकी नियमित मॉनिटरिंग की जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य सेवाओं में अनुशासन, जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए यह व्यवस्था एक अहम कदम साबित होगी। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। सरकार के इस फैसले से प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था सुधारने और आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद जताई जा रही है।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न जिलों से चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की अनुपस्थिति को लेकर लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने प्रदेश की सभी चिकित्सा इकाइयों में 1 जनवरी 2026 से बायोमीट्रिक उपस्थिति व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू करने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि बायोमीट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन आहरण किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह निर्णय स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभावी सुधारीकरण और मरीजों को समय पर बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लिया गया है। अब ड्यूटी में लापरवाही करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि अस्पतालों में चिकित्सकों और स्टाफ की नियमित उपस्थिति से न केवल मरीजों को राहत मिलेगी, बल्कि स्वास्थ्य तंत्र में जवाबदेही भी तय होगी। सरकार का लक्ष्य है कि आम जनता को सरकारी अस्पतालों में भरोसेमंद और समयबद्ध स्वास्थ्य सेवाएं मिलें।

स्वास्थ्य मंत्री ने विभागीय समीक्षा के दौरान पूर्व में नामित नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने संबंधित जिलों का भ्रमण कर वहां की स्वास्थ्य सुविधाओं का स्थलीय व भौतिक निरीक्षण करें। निरीक्षण के दौरान अस्पतालों में उपलब्ध डॉक्टरों, स्टाफ, उपकरणों, दवाओं और अन्य बुनियादी सुविधाओं की स्थिति का आकलन कर विस्तृत रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर जहां भी कमियां पाई जाएंगी, वहां त्वरित सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। सरकार की मंशा है कि प्रदेश के शहरी ही नहीं, बल्कि दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत हों और किसी भी मरीज को इलाज के लिए भटकना न पड़े।

बैठक में विशेषज्ञ चिकित्सकों का अलग कैडर बनाने, केंद्रीयकृत क्रय कार्पोरेशन का गठन करने, स्वास्थ्य इकाइयों वार्ड वॉय, तकनीकी संवर्ग के पदों को भरने, स्वास्थ्य केंद्रों में सफाई की उचित व्यवस्था बनाए रखने, मेडिकल कॉलेजों व जिला चिकित्सालयों में मरीजों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता, चिकित्सा इकाइयों में प्रत्येक दिवस के अनुसार चादर बदलने, स्वास्थ्य कार्यकर्ता व स्वास्थ्य पर्यवेक्षक को पांच साल की सेवा के बाद एक बार जिला परिवर्तन करने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाने के लिए निर्देश दिए। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के तहत गोल्डन कार्ड, आयुष्मान कार्ड धारकों को बेहतर उपचार करने व एनएचएम के तहत आउटसोर्स कार्मिकों को नियत समय पर वेतन भुगतान करने के निर्देश भी बैठक में दिए।

 

 

 

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