केदारघाटी में भालू का आतंक, वन विभाग ने बढ़ाई निगरानी..
उत्तराखंड: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग और टिहरी जिलों से भालुओं के हमले के दो अलग-अलग मामले सामने आए हैं। इन घटनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत का माहौल है। दोनों ही मामलों में पीड़ित खेतों या जंगल के आसपास काम कर रहे थे, तभी अचानक भालुओं ने उन पर हमला कर दिया। रुद्रप्रयाग जिले की केदारघाटी के ग्राम न्यालसू में बुधवार देर शाम भालू के हमले में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। जानकारी के अनुसार बुधवार को करीब साढ़े तीन बजे शाम न्यालसू रामपुर के साढ़ा तोक निवासी मंगल सिंह (55 वर्ष), पुत्र बच्चन सिंह, गौशाला के समीप खेतों में गए हुए थे। इसी दौरान अचानक एक भालू ने उन पर हमला कर दिया। हमले में मंगल सिंह के सिर और जबड़े पर गंभीर चोटें आई हैं। घटना के बाद आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों द्वारा गंभीर घायल को त्वरित प्राथमिक उपचार के लिए फाटा स्वास्थ्य केंद्र लाया गया।
फाटा में चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार देने के बाद गंभीर घायल को बेस अस्पताल श्रीनगर के लिए रेफर किया। वहीं दूसरी ओर टिहरी जिले के नरेंद्रनगर ब्लॉक के चलड़ गांव में भी भालू के हमले का मामला सामने आया है। यहां बकरी चराने गए एक युवक पर भालुओं ने हमला कर उसे बुरी तरह घायल कर दिया। हमले के बाद युवक की चीख-पुकार सुनकर स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और किसी तरह उसे भालू के चंगुल से छुड़ाया। घायल युवक को तुरंत श्रीदेव सुमन उप जिला अस्पताल, नरेंद्रनगर में भर्ती कराया गया, जहां उसका उपचार चल रहा है। लगातार सामने आ रहे इन हमलों से ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है। लोगों का कहना है कि जंगल से सटे गांवों में भालुओं की आवाजाही लगातार बढ़ रही है, जिससे खेतों और पशुओं की देखभाल के लिए बाहर निकलना भी जोखिम भरा हो गया है। ग्रामीणों ने वन विभाग से क्षेत्र में गश्त बढ़ाने और सुरक्षा के ठोस इंतजाम करने की मांग की है। वन विभाग की ओर से भी घटनाओं की जानकारी ली जा रही है और प्रभावित क्षेत्रों में सतर्कता बरतने की अपील की गई है। प्रशासन ने लोगों से जंगलों और सुनसान इलाकों में अकेले न जाने की सलाह दी है।
घटना के बाद स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी देखने को मिली। ग्रामीणों का कहना है कि केदारघाटी क्षेत्र में भालुओं की गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग और प्रदेश सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। लोगों का आरोप है कि भालू अब केवल मवेशियों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि मानव जीवन पर भी सीधा खतरा बन गए हैं। इस दौरान पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य खुशहाल सिंह रावत ने कहा कि केदारघाटी में भालुओं का आतंक चरम पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि पहले भालू मवेशियों पर हमला कर रहे थे, लेकिन बीते दिनों तरसाली गांव के बाद अब न्यालसू में बुजुर्ग पर हमला होना बेहद चिंताजनक है। उन्होंने वन विभाग से मांग की कि क्षेत्र में सक्रिय भालुओं को पिंजरे लगाकर जल्द से जल्द पकड़ा जाए, ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके। स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। वहीं वन विभाग की ओर से भी मामले की जानकारी ली जा रही है और क्षेत्र में सतर्कता बरतने की अपील की गई है।
आपको बता दे कि बीते दिन ही तरसाली गांव में एक महिला पर भालू ने हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया था। घायल महिला का इलाज वर्तमान में बेस अस्पताल श्रीनगर में चल रहा है। इसके बाद न्यालसू गांव में बुजुर्ग पर भालू के हमले की घटना सामने आने से क्षेत्र में चिंता और बढ़ गई है। लगातार हो रहे हमलों के चलते केदारघाटी के ग्रामीण भय के माहौल में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। खेतों में काम करना, मवेशियों की देखभाल करना और जंगल के आसपास जाना अब जोखिम भरा साबित हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि भालू अब आबादी वाले इलाकों तक पहुंच रहे हैं, जिससे जनहानि की आशंका लगातार बनी हुई है। इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता नितिन जमलोकी ने कहा कि केदारघाटी क्षेत्र में भालुओं का आतंक बना हुआ है।
वन्यजीव ग्रामीण इलाकों में आकर ग्रामीण जनता को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीते दो दिनों में अब तक दो गंभीर घटनाएं हो चुकी हैं, ऐसे में वन विभाग को समय रहते ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो ग्रामीण जनता का आक्रोश कभी भी वन विभाग पर फूट सकता है। वहीं इस पूरे मामले पर रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी ने कहा कि वन्यजीवों से ग्रामीण जनता को सुरक्षित रखने के लिए जिला प्रशासन द्वारा हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग की ओर से संवेदनशील और प्रभावित क्षेत्रों में लगातार निगरानी की जा रही है। जिलाधिकारी ने स्वीकार किया कि भालू के हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसके कारण ग्रामीण भय के माहौल में जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। लगातार सामने आ रही घटनाओं ने वन विभाग और प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। ग्रामीणों को अब जल्द ठोस और प्रभावी कार्रवाई की उम्मीद है, ताकि केदारघाटी क्षेत्र में सामान्य जनजीवन बहाल हो सके।