उत्तराखंड

सहकारिता से सशक्त होता उत्तराखंड, सीएम धामी ने श्रीनगर में मेले का किया शुभारंभ..

सहकारिता से सशक्त होता उत्तराखंड, सीएम धामी ने श्रीनगर में मेले का किया शुभारंभ..

 

 

 

उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को श्रीनगर में आयोजित नौ दिवसीय सहकारिता मेले में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने विभिन्न स्वयं सहायता समूहों (SHGs), सहकारी समितियों और स्थानीय काश्तकारों द्वारा लगाए गए उत्पाद स्टॉलों का निरीक्षण किया। सीएम धामी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले इन समूहों के प्रयासों की खुले दिल से सराहना की। उन्होंने कहा कि सहकारिता उत्तराखंड के गांवों की आर्थिक रीढ़ बन चुकी है। सीएम धामी ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य सरकार सहकारी संस्थाओं को आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि अब तक प्रदेश की 671 सहकारी समितियों का कंप्यूटरीकरण पूरा हो चुका है, जबकि 3838 समितियों के अभिलेख ऑनलाइन किए जा चुके हैं। यह डिजिटल बदलाव पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सीएम ने कहा कि सरकार का लक्ष्य आने वाले समय में सभी सहकारी समितियों को पूरी तरह डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ना है। राज्य सरकार के ‘लखपति दीदी अभियान’ ने महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाया है।

उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड की हजारों महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बन रही हैं। सीएम धामी ने कहा कि सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC), सख्त नकल विरोधी कानून और प्रभावी भू-कानून लागू कर प्रदेश में पारदर्शिता और सुशासन की नई मिसाल कायम की है। उन्होंने कहा कि ये सभी कदम राज्य को एक मजबूत, जवाबदेह और विकासोन्मुख प्रशासनिक ढांचे की ओर ले जा रहे हैं। कार्यक्रम के दौरान सीएम ने उत्कृष्ट कार्य करने वाले स्वयं सहायता समूहों को पाँच-पाँच लाख रुपये के चेक वितरित किए। साथ ही विभिन्न जिलों से आए सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों और महिला उद्यमियों को भी सम्मानित किया गया। सीएम ने कहा कि आने वाले समय में सरकार इन समूहों के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने के लिए विशेष मार्केटिंग प्लेटफॉर्म तैयार करेगी। सीएम धामी का कहना हैं कि उत्तराखंड में सहकारिता अब केवल एक व्यवस्था नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की सशक्त भावना बन चुकी है। हम हर गांव, हर महिला, हर किसान को आर्थिक रूप से मजबूत देखना चाहते हैं।

 

 

 

 

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