उत्तराखंड

उत्तराखंड में जल्द होंगे 400 सहायक प्रोफेसरों के साक्षात्कार, मेडिकल कॉलेजों में होगी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू- धन सिंह रावत..

उत्तराखंड में जल्द होंगे 400 सहायक प्रोफेसरों के साक्षात्कार, मेडिकल कॉलेजों में होगी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू- धन सिंह रावत..

 

 

 

उत्तराखंड: राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में रविवार को प्रथम वर्ष के एमबीबीएस छात्र-छात्राओं की बहुप्रतीक्षित व्हाइट कोट सेरेमनी आयोजित की गई। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री सांसद अजय भट्ट ने छात्रों को व्हाइट कोट पहनाकर महर्षि चरक शपथ दिलाई, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने राज्य में चिकित्सा शिक्षा के विस्तार से जुड़ी महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं।समारोह के दौरान 125 नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं ने चिकित्सा क्षेत्र में अपनी औपचारिक शुरुआत की। सांसद अजय भट्ट ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉक्टर का पेशा केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि मानवता की सेवा का माध्यम है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने जीवन में हमेशा “सेवा और समर्पण” का भाव बनाए रखें। भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड आज स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में निरंतर तरक्की कर रहा है।

राज्य के दूरस्थ इलाकों में भी चिकित्सक और आधुनिक मेडिकल उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि हर व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा मिल सके। कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि राजकीय मेडिकल कॉलेजों में 400 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए जल्द इंटरव्यू आयोजित किए जाएंगे, जिनमें से 50 पद हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को आवंटित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य मेडिकल कॉलेजों में न केवल शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाना है, बल्कि चिकित्सा सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाना भी है। रावत ने विद्यार्थियों से कहा कि वे डॉक्टर बनने के साथ-साथ समाजसेवी की भूमिका भी निभाएं, क्योंकि एक डॉक्टर केवल इलाज नहीं करता, बल्कि जीवन बचाने की प्रेरणा भी देता है। समारोह में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, संकाय सदस्य, अभिभावक और वरिष्ठ चिकित्सक भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने चिकित्सा सेवा के प्रति समर्पण और ईमानदारी की शपथ ली।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में 400 छात्रों को सरकार अपने खर्चे पर पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) प्रशिक्षण प्रदान कर रही है, जिससे वर्ष 2027 तक शत-प्रतिशत चिकित्सा विशेषज्ञ राज्य में उपलब्ध होंगे। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि पिथौरागढ़ और रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज का संचालन अगले वर्ष से शुरू होगा, और वर्तमान में राज्य में 180 प्रोफेसर और रीडर की नियुक्ति की जा चुकी है, जिनमें से 80 ने ज्वाइनिंग ले ली है। डॉ रावत का कहना हैं कि अब राज्य में प्रत्येक 15 दिन में फैकल्टी इंटरव्यू आयोजित किए जाएंगे, ताकि मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी जल्द पूरी हो सके। कार्यक्रम में सांसद अजय भट्ट ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि चिकित्सा केवल पेशा नहीं, बल्कि मानवता की सेवा है। उन्होंने कहा कि दूरस्थ इलाकों में भी चिकित्सालयों में आधुनिक उपकरण और डॉक्टर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में हमेशा सेवा और समर्पण का भाव बनाए रखें।कार्यक्रम में विधायक बंशीधर भगत, मेयर गजराज सिंह बिष्ट, मंडी अध्यक्ष डॉ. अनिल डब्बू, दिनेश आर्या, दायित्वधारी सुरेश भट्ट, शंकर कोरंगा, निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डॉ अजय आर्या, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. जीएस तितियाल, निदेशक कैंसर इंस्टीट्यूट डॉ. केसी पांडे, मेडिकल कॉलेज के एमएस डॉ. अरुण जोशी, सीएमओ डॉ. हरीश पंत ने छात्र छात्राओं को व्हाइट कोट पहनाया। उन्होंने 125 प्रथम वर्ष के एमबीबीएस छात्रों को व्हाइट कोट पहनाया और चिकित्सा सेवा के प्रति समर्पण की शपथ दिलाई। स्वास्थ्य मंत्री ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि डॉक्टर बनने के साथ-साथ वे समाजसेवी की भूमिका निभाएं, क्योंकि एक डॉक्टर केवल इलाज नहीं करता, बल्कि जीवन बचाने और समाज की भलाई के लिए काम करता है।

शपथ लेने वाले छात्र-छात्राएं पांच परिवारों को लेंगे गोद..

राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में रविवार को प्रथम वर्ष के 125 चिकित्सकों को महर्षि चरक की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम में स्वास्थ्य और चिकित्सा मंत्री डॉ. धनसिंह रावत ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। मंत्री ने कहा कि इन 125 चिकित्सकों में से प्रत्येक पांच-पांच परिवारों को गोद लेगा, और पांच वर्षों तक इन परिवारों के स्वास्थ्य की देखभाल की जिम्मेदारी चिकित्सक स्वयं संभालेंगे। यह पहल राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को और प्रभावी बनाने और ग्रामीण/दूरस्थ क्षेत्रों में चिकित्सकीय पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में अतिरिक्त कार्मिकों के पद बढ़ाए जा रहे हैं। साथ ही, भोजन-पानी, खेल के मैदान, ई-लाइब्रेरी और ओपन जिम जैसी सुविधाओं को और बेहतर बनाया जा रहा है, ताकि छात्रों और कर्मचारियों के लिए संपूर्ण शैक्षणिक और स्वास्थ्य वातावरण सुनिश्चित किया जा सके। डॉ. रावत ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे नशा मुक्त राज्य बनाने में भी सक्रिय भूमिका निभाएं और समाज में स्वास्थ्य एवं शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाएं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में 55 करोड़ रुपये की लागत के आधुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों की सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। मंत्री ने यह भी कहा कि विगत तीन वर्षों में प्रदेश में 25 हजार लोगों को सरकारी नौकरी दी गई है, जिसमें से 9 हजार से अधिक नौकरियां स्वास्थ्य विभाग में ही भरी गई हैं, जिससे चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा मजबूत हुआ है।

कैथलैब के सवाल पर कन्नी काट गए स्वास्थ्य मंत्री..

राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में व्हाइट कोट सेरेमनी के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनसिंह रावत हृदय रोगियों के लिए बन रही कैथ लैब की गुणवत्ता को लेकर सवालों का जवाब टालते नजर आए। जब उनसे इस परियोजना की देरी और गुणवत्ता पर सवाल किया गया, तो उन्होंने सीधे जवाब देने के बजाय अन्य सवालों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया। इस दौरान सांसद अजय भट्ट और मंडी परिषद अध्यक्ष डॉ. अनिल कपूर डब्बू भी मौके पर मौजूद थे।

जानकारी के अनुसार सुशीला तिवारी अस्पताल में नौ करोड़ रुपये की लागत से बन रही कैथ लैब राजनीतिक और प्रशासनिक चर्चा का विषय बनी हुई है। आपको बता दे कि 1 अक्टूबर को सांसद अजय भट्ट ने सीएम धामी को पत्र लिखकर कैथ लैब निर्माण में हो रही देरी और कार्यदायी संस्था मंडी परिषद की लापरवाही पर संज्ञान लेने और कठोर कार्रवाई करने की मांग की थी। पत्र में उन्होंने लिखा कि मंडी परिषद को कई बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है, जिससे स्वास्थ्य सेवा प्रभावित हो रही है।विशेषज्ञों और स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि कैथ लैब हृदय रोगियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और निर्माण में लगातार हो रही देरी मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।

 

 

 

 

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