उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र डेढ़ दिन में समाप्त, अल्पसंख्यक विधेयक पारित..
उत्तराखंड: उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को भारी हंगामे के बीच सभी नौ विधेयक पारित हो गए। इसी के साथ ₹5315 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट भी सदन ने मंजूर कर दिया। विपक्ष के तीखे विरोध और बार-बार कार्यवाही स्थगित होने के बावजूद सरकार ने महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करा लिया। सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर जमकर नारेबाजी की, लेकिन सदन की कार्यवाही के बीच सरकार ने नौ विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर लिया। इन विधेयकों में उत्तराखंड अल्पसंख्यक विधेयक 2025 भी शामिल है, जिससे राज्य में मदरसों की मान्यता व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। विधानसभा सत्र के दौरान सत्तापक्ष ने जनहित में विधायी कार्यों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया, जबकि विपक्ष ने सरकार की नीतियों और बजट के प्रावधानों पर सवाल उठाए।
उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र मात्र डेढ़ दिन में ही समाप्त कर दिया गया। सत्र के दौरान हंगामे के बीच कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए। इनमें सबसे अहम रहा उत्तराखंड अल्पसंख्यक विधेयक 2025, जिसे ध्वनिमत से पारित किया गया। विधेयक के पारित होते ही राज्य में सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक प्राधिकरण गठित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है। यह प्राधिकरण अब मदरसों समेत अन्य अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को मान्यता प्रदान करेगा। इससे उत्तराखंड में मदरसा शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की उम्मीद है। विपक्ष के विरोध और बार-बार कार्यवाही स्थगित होने के बावजूद सरकार ने जरूरी विधायी कार्यों को प्राथमिकता देते हुए सत्र को समय से पहले ही समाप्त कर दिया।
उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार ने कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए। बुधवार को समान नागरिक संहिता (UCC) संशोधन विधेयक को मंजूरी मिली। इसमें लिव-इन-रिलेशनशिप को लेकर सख्ती बढ़ाई गई है, खासकर उन मामलों में जहां जानबूझकर पहचान छुपाकर या धोखे से रिश्ते में रहा जाता है। ऐसे मामलों में अब सजा और जुर्माने दोनों में बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही सदन में धर्मांतरण कानून का संशोधित संस्करण भी पारित कर दिया गया। नए कानून के तहत जबरन, लालच या धोखे से धर्मांतरण कराने पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान विशेष रूप से डिजिटल माध्यमों से कराए जा रहे धर्म परिवर्तन को भी ध्यान में रखते हुए किया गया है। सरकार का कहना है कि ये कानून राज्य में सामाजिक समरसता बनाए रखने और धोखाधड़ी जैसे मामलों पर नियंत्रण के लिए बेहद जरूरी थे। विपक्ष के विरोध और हंगामे के बावजूद ये दोनों विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिए गए।
