उत्तराखंड

उत्तराखंड में बिजली हो सकती है महंगी, विद्युत नियामक आयोग में जनसुनवाई जारी..

उत्तराखंड में बिजली हो सकती है महंगी, विद्युत नियामक आयोग में जनसुनवाई जारी..

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही महंगे बिजली बिल का सामना करना पड़ सकता है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) में बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी को लेकर जनसुनवाई का दौर जारी है। आयोग के अध्यक्ष एम.एल. प्रसाद और सदस्य (विधि) अनुराग शर्मा की मौजूदगी में यह सुनवाई हो रही है। बिजली आपूर्ति करने वाली प्रमुख कंपनी उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने 11 अप्रैल को जारी टैरिफ आदेश की पुनर्समीक्षा (Review Petition) के लिए याचिका दायर की है। अप्रैल में आयोग द्वारा बिजली दरों में 5.62% की वृद्धि को मंजूरी दी गई थी, लेकिन अब यूपीसीएल द्वारा उसमें और बदलाव की मांग की गई है। यूपीसीएल का तर्क है कि उसकी वित्तीय स्थिति और लागत मूल्य में वृद्धि को देखते हुए दरों में संशोधन जरूरी है। अगर आयोग यूपीसीएल की मांग स्वीकार करता है, तो प्रदेश के 27 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को बिजली के लिए अधिक भुगतान करना पड़ सकता है। जनसुनवाई के दौरान कई उपभोक्ता संगठनों और आम नागरिकों ने बिजली दरों में किसी भी प्रकार की अतिरिक्त वृद्धि का विरोध किया है। उनका कहना है कि पहले ही महंगाई चरम पर है, ऐसे में बिजली दरों में और इजाफा जनता पर बोझ बढ़ाएगा। फिलहाल आयोग की तरफ से कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। जनसुनवाई प्रक्रिया के पूरा होने के बाद आयोग विस्तृत अध्ययन के बाद आदेश जारी करेगा।

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने विद्युत नियामक आयोग से 674.77 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली की मांग की है। यदि यह मांग स्वीकार की जाती है, तो बिजली दरों में 5.82 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। UPCL ने अपने पिछले खर्चों और आगामी अनुमानित खर्चों का हवाला देते हुए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) में याचिका दाखिल की है। इसके तहत कंपनी ने कहा है कि उसे 2024-25 की अवधि में उपभोक्ताओं से 674.77 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रिकवरी की जरूरत है। बता दे कि आयोग ने इससे पहले यूपीसीएल की मांग पर टैरिफ प्रस्ताव में कैंची चलाते हुए कुछ कटौतियां की थीं। अब यूपीसीएल ने खर्चों का मिलान करने के बाद पुनर्समीक्षा याचिका दाखिल की है। यदि आयोग इस याचिका को मंजूरी देता है, तो राज्य के लगभग 27 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को 5.82% महंगी बिजली का भार झेलना पड़ेगा। यह वृद्धि सभी श्रेणियों घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगी। जारी जनसुनवाई के दौरान कई सामाजिक संगठनों और उपभोक्ताओं ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। उनका कहना है कि महंगाई की मार पहले ही जनता की कमर तोड़ चुकी है, ऐसे में बिजली जैसी अनिवार्य सेवा को और महंगा करना अनुचित होगा। विद्युत नियामक आयोग ने अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं सुनाया है। जनसुनवाई प्रक्रिया पूरी होने के बाद टैरिफ समीक्षा पर अंतिम फैसला आयोग द्वारा लिया जाएगा।

 

 

 

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