उत्तराखंड

केदारनाथ यात्रा में घोड़ा-खच्चरों पर इक्वाइन इंफ्लुएंजा का खतरा, संचालन रोक 24 घंटे और बढ़ी..

केदारनाथ यात्रा में घोड़ा-खच्चरों पर इक्वाइन इंफ्लुएंजा का खतरा, संचालन रोक 24 घंटे और बढ़ी..

 

 

 

उत्तराखंड: केदारनाथ यात्रा में पंजीकृत घोड़ा-खच्चरों के इक्वाइन इंफ्लुएंजा संक्रमण से प्रभावित होने के कारण इन जानवरों के संचालन पर लगी रोक को अगले 24 घंटे के लिए और बढ़ा दिया गया है। इस दौरान विशेषज्ञों की टीमें इन घोड़ा-खच्चरों की सैंपलिंग कर उनके स्वास्थ्य का मूल्यांकन करेंगी। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान हिसार से तीन सदस्यीय विशेषज्ञ चिकित्सकों का दल पहले ही रुद्रप्रयाग पहुंच चुका है, और पंतनगर से भी एक विशेषज्ञ दल बुधवार को जिले में पहुंचेगा। यह दल घोड़ा-खच्चरों की सैंपलिंग करेगा और उनके स्वास्थ्य की जांच करेगा, ताकि संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके और यात्रा में किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। यह कदम संक्रमण को नियंत्रित करने और यात्रा में किसी प्रकार की परेशानी से बचने के लिए उठाया गया है।

केदारनाथ यात्रा में पंजीकृत घोड़ा-खच्चरों में इक्वाइन इंफ्लुएंजा संक्रमण के लक्षण सामने आने के बाद गौरीकुंड और उसके आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. आशीष रावत ने जानकारी दी कि जैसे ही संक्रमण के लक्षण दिखे संबंधित गांवों में तुरंत निगरानी शुरू कर दी गई और बाहरी क्षेत्रों से आने वाले सभी घोड़े और खच्चरों की गहन स्क्रीनिंग की जा रही है। यह कदम संक्रमण के फैलाव को रोकने और यात्रा के दौरान किसी भी तरह की समस्या से बचने के लिए उठाया गया है। साथ ही रुद्रप्रयाग जिले में घोड़ा-खच्चरों की स्वास्थ्य जांच के लिए विशेषज्ञ दल भी तैनात किया गया है।

बता दे कि बीते एक माह में 16,000 से अधिक पशुओं की स्वास्थ्य जांच की जा चुकी है, और इसमें से केवल पूर्णतः स्वस्थ पशुओं को ही केदारनाथ यात्रा मार्ग पर प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. आशीष रावत का कहना हैं कि संक्रमण को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है, ताकि यात्रा में कोई भी समस्या उत्पन्न न हो। इसके साथ ही यात्रा मार्ग पर अतिरिक्त पशु चिकित्सकों की तैनाती भी तत्काल प्रभाव से कर दी गई है, ताकि घोड़ा-खच्चरों की त्वरित जांच की जा सके और संक्रमण के फैलाव को रोका जा सके। यह कदम यात्रियों और यात्रा के पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

बता दे कि केदारनाथ यात्रा के दौरान कुछ घोड़ा-खच्चरों में दस्त जैसे तीव्र लक्षण देखे गए हैं, जो एक गंभीर समस्या बन गई है। इस पर तत्काल कदम उठाते हुए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार से एक तीन सदस्यीय विशेषज्ञ चिकित्सक दल मौके पर पहुंच चुका है। यह दल पशुओं के स्वास्थ्य का निरीक्षण कर रहा है और उनका उपचार कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन लक्षणों की गहन जांच और इलाज से संक्रमण के फैलाव को रोका जा सकता है और यात्रा के दौरान किसी प्रकार की परेशानी से बचा जा सकता है। इस संदर्भ में सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं ताकि यात्रा में शामिल पशुओं की सेहत को सुनिश्चित किया जा सके।

 

 

 

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