उत्तराखंड

केदारनाथ यात्रा में घोड़ा-खच्चरों की स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु प्रशासनिक तैयारियाँ..

केदारनाथ यात्रा में घोड़ा-खच्चरों की स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु प्रशासनिक तैयारियाँ..

 

 

उत्तराखंड: केदारनाथ यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में घोड़े-खच्चरों का उपयोग होता है, और उनकी सेहत पर ध्यान देना न सिर्फ पशु कल्याण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और यात्रा की समग्र व्यवस्था के लिए भी आवश्यक है। केदारनाथ यात्रा में बीमार होने वाले घोड़ा-खच्चरों को क्वारंटीन किया जाएगा। विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की निगरानी में जानवरों का इलाज सुनिश्चित किया जायेगा। कोटमा और फाटा जैसे स्थानों पर पशुपालन विभाग ने क्वारंटीन सेंटर चिह्नित की है।आवश्यकता पड़ने पर अन्य वैकल्पिक स्थानों पर भी किराये के क्वारंटीन स्थल बनाए जाएंगे। जिससे व्यवस्था बाधित न हो। यह कदम न केवल जानवरों की भलाई के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह यात्रा की सुरक्षा, स्वच्छता और सुचारु संचालन को भी मजबूत करेगा।

केदारनाथ यात्रा से पूर्व पशुपालन विभाग द्वारा किए गए स्वास्थ्य परीक्षण में जनपद रुद्रप्रयाग के बीरों, बष्टी, जलई, मनसूना और गौंडार गांव में कई घोड़ा-खच्चरों हॉर्ष फ्लू (इक्वाइन इन्फ्लूएंजा) से संक्रमित पाए गए थे। जिससे गौंडार गांव में तीन खच्चरों की मृत्यु हो चुकी है। जिसके बाद संक्रमण के फैलाव को रोकने हेतु घोड़ा-खच्चरों के पंजीकरण को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया था। लेकिन अब्ब स्थिति सामान्य होने के उपरांत पुनः पंजीकरण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। कोटमा और फाटा में क्वारंटीन सेंटर चिह्नित किए गए हैं, जहां बीमार पशुओं का उपचार विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की देखरेख में किया जाएगा।

घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण किया जा रहा..
आगामी 2 मई से शुरू हो रही केदारनाथ यात्रा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन और पशुपालन विभाग द्वारा यात्रा मार्ग में लगे घोड़ा-खच्चरों की स्वास्थ्य जांच को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। शिविरों में पहुंचने वाले सभी जानवरों का हॉर्ष फ्लू एवं ग्लैंडर्स जैसी संक्रामक बीमारियों के लिए खून का सैंपल लिया जा रहा है। केवल निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण किया जा रहा है। यात्रा के दौरान अगर कोई घोड़ा-खच्चर बीमार पाया जाता है, तो उसे तत्काल क्वारंटीन किया जाएगा, जिससे संक्रमण अन्य जानवरों में न फैले। यह पहली बार है जब केदारनाथ यात्रा के लिए इतनी व्यवस्थित पशु स्वास्थ्य व्यवस्था की गई है। इससे न केवल जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा, स्वच्छता और यात्रा की समग्र व्यवस्था भी बेहतर बनेगी।

पशुपालन विभाग देहरादून के अपर निदेशक डाॅ. भूपेंद्र जंगपांगी का कहना है कि क्वारंटीन सेंटर के लिए कालीमठ घाटी के कोटमा और केदारघाटी के फाटा में जगह चिह्नित की है। यहां पर 30-30 जानवरों को रखने की व्यवस्था की है। दोनों जगह के लिए विभागीय स्तर पर सात सदस्यीय विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम भी तैयार कर दी गई है।

 

 

 

 

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