उत्तराखंड

हल्द्वानी में मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम को गांव-गांव घूमेगी मोबाइल वैन..

हल्द्वानी में मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम को गांव-गांव घूमेगी मोबाइल वैन..

 

 

 

उत्तराखंड: कुमाऊं मंडल का सबसे बड़ा वन क्षेत्र वाला तराई पूर्वी वन प्रभाग के जंगलों में मानव वन्यजीव टकराव की रोकथाम के लिए वन विभाग ने गांव-गांव और घर-घर जाकर जनता को जागरूक करने की रणनीति बनाई हैं। इसके लिए बुधवार को मोबाइल वैन का शुभारंभ किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने मोबाइल वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया। तराई पूर्वी वन डिवीजन का क्षेत्रफल 82 हजार हेक्टेयर अधिक वन भूमि पर नैनीताल से उधमसिंह नगर और नेपाल बॉर्डर तक फैला हुआ है। इसमें तराई और भाबर के जंगल मानव वन्यजीव संघर्ष के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं।

तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु बागड़ी कहना है कि जंगलों से सटे गांव होने के बाद भी ग्रामीण वन्यजीवों के व्यवहार के प्रति जागरूक नहीं होते हैं। जिस वजह से आए दिन संघर्ष होते हैं। खास कर देखा गया है कि सर्दियों के मौसम में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना अधिक होती है। इसी को देखते हुए वन विभाग ने एक मोबाइल वैन चलाने का फैसला किया, जो संवेदनशील गांवों, स्कूलों और घर-घर जाकर जनता को संघर्ष की रोकथाम के लिए जागरूक करेगी।

वन विभाग ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के गृह क्षेत्र खटीमा से मोबाइल वैन के संचालन की शुरुआत की है। जहां हल्द्वानी में मोबाइल वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया है। संवेदनशील गांवों का रोस्टर तैयार वन विभाग ने तराई पूर्वी वन डिवीजन के सभी संवेदनशील ग्रामों का चिन्हित कर उनका रोस्टर तैयार किया है। जहां वन्यजीव एक्सपर्ट ग्राम प्रधान व सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की मदद से ग्रामीणों एवं बच्चों को जागरूक करेंगे। जागरूकता के दौरान वन्यजीव एक्सपर्ट भी शामिल किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पहले चरण में एक महीने का जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। मोबाइल वैन में वन अधिकारी-कर्मी के साथ वन्यजीव एक्सपर्ट, पशु चिकित्सक व फील्ड स्टाफ मौजूद रहेगा। सांसद अजय भट्ट ने कहा कि जंगलों में लगातार वन्यजीवों की संख्या बढ़ रही है और अक्सर मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं देखी जा रही हैं। वन विभाग की यह पहल सराहनीय पहल है। इस तरह की जागरूकता अभियान से मानव वन जीव संघर्ष की घटनाएं कम होगी।

 

 

 

 

 

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