मासूमों की चीखों से दहल रहा पहाड़
पहाड़ की वादियों में दुष्कर्म का दुष्चक्र
आखिर किस ओर जा रहा हमारा समाज
गुणानंद जखमोला
सोशल मीडिया। मसूरी के एक अस्पताल में गत सप्ताह टिहरी गढ़वाल निवासी दसवीं कक्षा की छात्रा ने एक बच्ची को जन्म दिया। 15 साल की मां बनी यह छात्रा इस मासूम से जल्द पीछा छुड़ाना चाहती है। जिस स्कूल में लड़की पढ़ती थी, उसी स्कूल के शिक्षक ने गुरु-शिष्या के रिश्ते को तार-तार कर दिया। जब तक अभिभावकों को पता चलता, लड़की आठ महीने की गर्भवती हो चुकी थी।
पुलिस ने आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया है और नवजात का डीएनए सैंपल ले लिया है। एक मां जो स्वयं बच्ची है किस तरह से इसकी परवरिश करेगी, यह कहना है पीड़ित लड़की के पिता का। वह बोर्ड एग्जाम की तैयारी करे या बच्ची को संभाले। यह यक्ष प्रश्न है। आखिर दुनिया में आई इस नवजात की परवरिश कैसे होगी? डीएनए की रिपोर्ट आने में कम से कम तीन महीने लगेंगे? क्या तब तक नवजात सुरक्षित रहेगी? कौन करेगा उसकी देखभाल? पहाड़ में इस तरह की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं। पहाड़ का सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न होता जा रहा है।
28 अक्टूबर को जौनसार की दुष्कर्म से पीड़ित युवती ने फांसी लगा कर जान दे दी तो 21 अक्टूबर ही भैयादूज के दिन एक नाबालिग के साथ रेप हो गया और उसे धमकाया गया तो उसने भी दूसरे दिन फांसी लगा जान दे दी। उत्तराखंड में पिछले साल 333 रेप के मामले दर्ज किये गये। इससे कहीं अधिक यौन उत्पीड़न व छेड़छाड़ के हैं।
पौड़ी और कोटद्वार में भी गत माह दुष्कर्म की घटनाएं घटी हैं और वह भी चार साल की बच्ची के साथ, ऐसी घृणित घटनाएं घटित हो रही हैं। हम जैसे-जैसे सभ्य हो रहे हैं हमारे अंदर का जानवर बाहर आ रहा है। पहाड़ की वादियों में गुलदारों के हमलों के साथ ही हिसंक मानव रूपी भेड़िये भी हमलावर हो रहे हैं। इनसे निपटने के लिए कुछ तो ठोस पहल करनी होगी, अन्यथा वादियों में मासूम बच्चों की चीत्कार दिल दहला देंगी।