उत्तराखंड

भाजपा की कैंट सीट पर अब कौन संभालेगा विरासत, नए चेहरे को लेकर चर्चाएं शुरू हुई..

भाजपा की कैंट सीट पर अब कौन संभालेगा विरासत, नए चेहरे को लेकर चर्चाएं शुरू हुई..

कांग्रेस ने तमाम बड़े नेता मैदान में उतारे लेकिन हरबंस कपूर को नहीं हरा पाए..

 

 

 

कैंट विधानसभा सीट पर जीत 32 साल से कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के लिए एक सपना है। कांग्रेस ने तमाम बड़े नेता कैंट विधानसभा सीट के मैदान में उतारे लेकिन कोई भी हरबंस कपूर को नहीं हरा पाया। 1989 में कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट, 1991 में विनोद, 1993 और 1996 में दिनेश अग्रवाल, 2002 में संजय शर्मा, 2007 में लालचंद शर्मा, 2012 में देवेंद्र सिंह सेठी और 2017 में सूर्यकांत धस्माना को हराकर रिकॉर्ड कायम करने वाले हरबंस कपूर की कुर्सी खाली हो चुकी है।

 

उत्तराखंड: देहरादून कैंट विधानसभा से लगातार चार बार विधायक रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री हरबंस कपूर के निधन के साथ ही कैंट सीट पर अब विरासत संभालने को लेकर चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। कैंट विधानसभा सीट भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती हैं हालांकि भाजपा वक्त आने पर अपने पत्ते खोलेगी।

 

आपको बता दे कि कैंट विधानसभा सीट पर जीत 32 साल से कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के लिए एक सपना है। कांग्रेस ने तमाम बड़े नेता कैंट विधानसभा सीट के मैदान में उतारे लेकिन कोई भी हरबंस कपूर को नहीं हरा पाया। 1989 में कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट, 1991 में विनोद, 1993 और 1996 में दिनेश अग्रवाल, 2002 में संजय शर्मा, 2007 में लालचंद शर्मा, 2012 में देवेंद्र सिंह सेठी और 2017 में सूर्यकांत धस्माना को हराकर रिकॉर्ड कायम करने वाले हरबंस कपूर की कुर्सी खाली हो चुकी है। हालांकि कैंट विधानसभा में भाजपा के पास करीब दस दावेदार हैं, लेकिन पार्टी आगामी चुनाव में भी हरबंस कपूर को ही टिकट देने की तैयारी में थी। उनके अचानक निधन से भाजपा को एक बहुत बड़ा झटका लगा है।

 

लेकिन अब सवाल यहां हैं कि भाजपा टिकट किसे देगी। हरबंस कपूर के परिवार के नजरिए से देखा जाये तो, उनकी पत्नी सविता कपूर मजबूत दावेदार कही जा सकती हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार पत्नी की दावेदारी की दो प्रमुख वजह हैं। एक वजह तो यह है कि वह पति के साथ ही लगातार सामाजिक संगठनों, कार्यक्रमों का हिस्सा बनी रही हैं। दूसरी यह है कि संघ में भी उनकी अच्छी पकड़ है।

 

परिवार में दूसरा विकल्प उनका बेटा अमित कपूर है। परिवार के दोनों सदस्यों के लिए सकारात्मक बिंदु यह भी है कि विधायक कपूर के निधन से सिम्पैथी वोट भी मिलेगा। लेकिन अब यह आने वाला समय ही बताएगा कि पार्टी, कपूर परिवार को ही विरासत सौंपेगी या किसी अन्य को मैदान में उतारेगी।

 

 

 

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top