उत्तराखंड

जुग्जू गांव में चट्टान से हुआ भूस्खलन, ग्रामीणों ने कई घंटे गुफा में बिताई रात..

जुग्जू गांव में चट्टान से हुआ भूस्खलन, ग्रामीणों ने कई घंटे गुफा में बिताई रात..

 

 

 

 

 

 

 

नीती घाटी के जुग्जू गांव के शीर्ष भाग की चट्टान से भूस्खलन होने लगा। भूस्खलन से खतरे को देखते हुए ग्रामीणों ने अपने घर छोड़ दिए और एक गुफा में जाकर रात गुजारी। गुरुवार सुबह करीब नौ घंटे बाद बारिश बंद हुई तो ग्रामीण घरों को लौटे।

 

उत्तराखंड: प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से भूस्खलन का खतरा इतना बढ़ गया हैं कि मानसून के करीब आते ही लोगों का दिल जोरों से धड़कने लगता है, आपदा के डर का अहसास उन्हें रात-रातभर सोने नहीं देता। अब चमोली की नीती घाटी में स्थित जुग्जू गांव को ही देख लीजिये। बुधवार रात को भारी बारिश के दौरान नीती घाटी के जुग्जू गांव के शीर्ष भाग की चट्टान से भूस्खलन होने लगा।

भूस्खलन से खतरे को देखते हुए ग्रामीणों ने अपने घर छोड़ दिए और एक गुफा में जाकर रात गुजारी। गुरुवार सुबह करीब नौ घंटे बाद बारिश बंद हुई तो ग्रामीण घरों को लौटे। जुग्जू गांव में भोटिया जनजाति के 17 परिवार रहते हैं। वर्ष 2013 की आपदा से ही गांव के ऊपर चट्टान से भूस्खलन शुरू हो गया था। अब भूस्खलन का दायरा बढ़ गया है। पिछले दो वर्षों से बरसात में यहां लगातार भूस्खलन होता है जिससे अधिक बारिश होने पर ग्रामीण अपने घरों को छोड़ देते हैं।

बुधवार रात करीब नौ बजे से क्षेत्र में भारी बारिश होने पर चट्टान से मलबा और बोल्डर छिटकने शुरू हो गए जिससे ग्रामीण चैत सिंह, वीरेंद्र सिंह, सौंणी देवी, जेठुली देवी, सरस्वती देवी, कली देवी, अवतार सिंह, केशर सिंह, इंद्र सिंह, लक्ष्मण सिंह, अनीता देवी, माधो सिंह, सैन सिंह, कुंवर सिंह, मुरली सिंह ने अपने घर छोड़ दिए। ग्रामीणों ने बच्चों के साथ गांव के समीप ही एक गुफा में रात गुजारी।

गुरुवार सुबह बारिश बंद होने पर सुबह छह बजे ग्रामीण घरों को लौटे। ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन से कई बार गांव के पुनर्वास की मांग की गई लेकिन इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इधर, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोर जोशी का कहना हैं कि जुग्जू गांव के पुनर्वास के लिए शासन को लिखा गया है।

 

 

 

 

 

 

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