हरीश रावत के ट्वीट से कांग्रेस में मचा बवाल..
उत्तराखंड: फिलहाल उत्तराखंड कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत को ‘सूबेदार’ बनाने की मांग जिस तेजी से जोर पकड़ रही है, उसी तेजी से हाईकमान सामुहिक नेतृत्व का भी ऐलान करता हैं। इसके बावजूद भी संगठन में तक़रार थमती नहीं दिख रही हैं। कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सीएम हरीश रावत के ताजा ट्वीट से मामला और तूल पकड़ता दिख रहा हैं। हरीश रावत ने ट्वीट करके कहा है कि जो लोग बीते विधानसभा चुनावों में अपनी विधानसभा से बाहर प्रचार के लिए तक नहीं जा पाए, वे मुझसे 59 सीटों पर हार का हिसाब चाहते हैं। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री रावत का कहना हैं, कि 2017 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने 94 सार्वजनिक सभाएं भी की।
किच्छा में सिर्फ नामांकन के दौरान ही वे जा पाए, वहीं हरिद्वार ग्रामीण सीट में तो वे एक दिन भी प्रचार में नहीं गए। इन दोनों सीटों में हरीश रावत मुख्यमंत्री के रूप में चुनावी मौदान में उतरे थे और दोनों सीटों पर ही उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा था। कांग्रेस के भीतर उनके विरोधी नेता इस बात को बार-बार कहते आए हैं कि साल 2017 के विधानसभा चुनावों में ‘सबकी चाहत, हरीश रावत’ नारा दिया था लेकिन इस नारे की जनता ने पूरी तरह हवा निकाल दी।
सीएम रहते हुए रावत खुद तो दोनों सीटों से हारे ही, साथ ही पार्टी ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन उत्तराखंड में किया। बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 70 में से सिर्फ 11 सीटों पर ही जीत पाई थी। पूर्व सीएम हरीश रावत अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए सवाल करते हैं कि क्या कारण है जो चुनावी जीत के विशेषज्ञ है, उनके चारों तरफ सीटों पर कांग्रेस 2007 से ही हार रही है?
मुख्यमंत्री रावत के ताजा ट्वीट से साफ है कि उत्तराखंड कांग्रेस में मची तक़रार न तो थमी है और न ही कम हुई हैं। चमोली आपदा में राहत कार्यों को लेकर भी हरीश रावत, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पीठ थपथपा चुके हैं। माना जा रहा है कि बार-बार त्रिवेन्द्र सरकार की तारीफ करना भी हरीश रावत का कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बनाने की रणनीति का ही हिस्सा हैं।