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मजदूर के बेटे को यूपीएससी में मिला 8वां स्थान, खुश होकर गांव वालों ने निकाला जुलूस..

मजदूर के बेटे को यूपीएससी में मिला 8वां स्थान, खुश होकर गांव वालों ने निकाला जुलूस..

देश-विदेश: महाराष्ट्र के सोलापुर में एक मजदूर के बेटे ने कामयाबी की नई कहानी लिख दी है। कहते हैं कि, सपने उन्हीं के सच होते हैं, जिनके सपनों में जान होती हैं। पंख से कुछ नहीं होता होंसलों में उड़ान होती है। यहा साबित कर दिखाया हैं, महाराष्ट्र के शरण कांबले ने। दरअसल, उसने सिविस सर्विसेज परीक्षा यानी यूपीएससी में आठवां स्थान हासिल किया है। मजदूर के बेटे की इस कामयाबी पर गांव के लोग भी बेहद खुश हुए।

उन्होंने बच्चे को कंधे पर बैठाकर पूरे गांव में जुलूस निकाला। अपनी मेहनत से मिसाल कायम करने वाले इस बच्चे का नाम शरण कांबले है। इसने न सिर्फ यूपीएससी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की, बल्कि देशभर में 8वां स्थान भी हासिल किया। शरण की इस सफलता पर गांव वाले भी बेहद खुश नजर आ रहे हैं। रविवार (7 फरवरी) रात उन्होंने बारशी तहसील में जुलूस निकाला और पूरे रास्ते शरण को बंधे पर बैठाए रखा।

 

शरण ने सुनाई अपनी दास्तां..

शरण ने बताया कि उनका घर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। जैसे-तैसे उनका घर चलता है। शरण ने अपनी जिंदगी में कई बार ऐसे दिन भी देखे, जब उनका पूरा परिवार भूखे पेट सोया। शरण का मन बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में लगता था। ऐसे में माता-पिता भी उनका सपना पूरा करने में जुट गए।

 

शरण बताते हैं कि उनकी पढ़ाई न रुके, इसलिए मां ने सब्जियां बेचनी शुरू कर दी थीं। वहीं, पिता भी खेत में मजदूरी करते थे। शरण कहते हैं कि मेरे माता-पिता की कड़ी मेहनत और शिक्षा दिलाने के संकल्प के चलते ही मेरे बड़े भाई ने भी बीटेक किया। इसके बाद आर्थिक स्थिति सुधरी तो शरण को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली भेजा गया।

शरण की सफलता पर पिता गोपीनाथ और मां सुदामती कांबले बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि मेरा बेटा कहां तक पढ़ा और उसने क्या-क्या पढ़ा? हालांकि, मैं यह जरूर जानता हूं कि अब वह मास्टर बन गया है। उनका मानना है कि परिवर्तन के चमत्कार सिर्फ शिक्षा के माध्यम से हो सकते हैं, जिसे उनके बेटे ने हकीकत में बदल दिया।

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