उत्तराखंड

कोरोना से नहीं भूख और बेरोजगारी से मर जायेंगे लोगः डिमरी..

कोरोना से बेरोजगार हुए होटेलियर/कंपनी के कर्मचारियों को दिया जाय आर्थिक पैकेज..

चारधाम यात्रा से जुड़े होटल व्यवसायियों का ब्याज और बिजली-पानी का बिल माफ कर सरकार..

उक्रांद युवा नेता मोहित डिमरी ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र..

रुद्रप्रयाग: कोरोना के कारण बेरोजगार हुए लोगों की लड़ाई लड़ रहे उत्तराखंड क्रांति दल के युवा नेता और जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर बेरोजगार हुए होटेलियर और कंपनी के कर्मचारियों के लिए आर्थिक पैकेज देने की मांग की है। युवा नेता मोहित डिमरी ने कहा कि कोरोना के कारण एक बार फिर से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। ऐसे में लाखों की संख्या में होटेलियर और प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। उनके सामने गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो गया है। यही हाल रहे तो लोग कोरोना के बजाय बेरोजगारी-भुखमरी से मर जायेंगे।

 

उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कोरोना के चलते बेरोजगार हुए प्रत्येक होटेलियर और प्राइवेट कंपनी में कार्य कर रहे कर्मचारी को 15 हजार रुपए महामारी भत्ता दिया जाय। इसके साथ ही वापस घर लौटे प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार हेतु बिना ब्याज के पचास प्रतिशत सब्सिडी पर ऋण दिया जाय। उन्होंने कहा कि जो लोग उत्तराखंड से बाहर फंसे हुए हैं, उन्हें सुरक्षित घर तक पहुँचाने के लिए निःशुल्क ट्रेनध्बस की व्यवस्था की जाय। मोहित डिमरी ने यह भी मांग रखी कि होटल कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों को पूरी सैलरी देने के लिए होटल कंपनी मालिक को सख्त निर्देश दिए जाएं। अमूमन लोगों का कहना है कि उन्हें सैलरी पूरी नहीं दी जा रही है। इसके साथ ही किसी कर्मचारी का शोषण न हो, इसके लिए कंपनीध्होटल मालिक की जिम्मेदारी तय की जाय।

 

साथ ही चारधाम यात्रा से जुड़े होटल व्यवसायी पिछले वर्ष भी भारी नुकसान झेल चुके हैं। इस वर्ष भी परिस्थिति सामान्य होती दिखाई नहीं दे रही। ऐसे हालात में होटल व्यवसायियों को स्थिति सामान्य होने तक ब्याज और किश्त में छूट दी जाय। उनके बिजली और पानी के बिल माफ किये जाएं। उन्होंने कहा कि बेरोजगार हुए होटलध्कंपनी कर्मचारियों के बच्चों की स्कूल की फीस माफ की जाय और उनके परिवार को भरपूर राशन दी जाय। उन्होंने यह भी कहा कि इस समय बेरोजगार हुए लोगों की मदद के लिए सरकार को ठोस रास्ता निकालना चाहिए। जिससे वे लोग संकट से उबर पायें।

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