उत्तराखंड

गोपेश्वर में अस्थायी पुल टूटने से बही दो महिलाएं..

गोपेश्वर में अस्थायी पुल टूटने से बही दो महिलाएं..

दशोली विकासखंड के स्यूण गांव की हैं घटना..

 

 

 

 

 

 

गोपेश्वर के स्यूण गांव  घास लेकर आ रही दो महिलाएं लकड़ी के अस्थाई पुल के टूटने से गदेरे में गिर कर बह गई।

 

उत्तराखंड: वाकई पहाड़ों में जिंदगी जीना आसान नहीं हैं। आजादी के बाद भी पहाड़ों में ग्रामीणों को सरकार वो सुविधा मुहैया नहीं करवा पायी हैं। जो पहाड़ों में होनी चाहिए थी। यहां स्वास्थ्य सुविधा से लेकर रास्तों तक की हालात खस्ताहाल बनी हुई हैं। जिस कारण यहाँ पर आये दिन हादसे हो जाते हैं। अब गोपेश्वर के दशोली विकासखंड के स्यूण गांव में ही देख लीजिये। जहां घास लेकर आ रही दो महिलाएं लकड़ी के अस्थाई पुल के टूटने से गदेरे में गिर कर बह गई। एक महिला की जान तो पत्थर पर अटक जाने के कारण बच गई, लेकिन दूसरी तेज बहाव में बहकर लापता हो गई।

आपको बता दे कि दशोली विकासखंड के स्यूण गांव में 27 वर्षीय राजेश्वरी व 55 वर्षीय माधो देवी गांव के पास ही जंगलों में घास लेने गई थी। बताया गया कि दोनों घास लेकर नैनागाड़ गदेरे पर बने अस्थाई पुल से आ रही थी। इस दौरान पुल टूटने से दोनों महिलाएं मैना गाड़ गदेरे में गिर गई। माधो देवी तो कुछ दूरी पर पत्थर की आड़ में बेहोशी हालत में अटक गई, लेकिन राजेश्वरी का अभी तक कोई पता नहीं चला है। बताया जा रहा हैं कि जब राहगीरों ने पुल टूटने की सूचना ग्रामीणों को दी तो महिलाओं की खोजबीन शुरू हुई। इस दौरान माधो देवी को बेहोशी हालत में गदेरे के कुछ दूरी पर मिलने के बाद उसे रेस्क्यू कर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत में सुधार है।

इधर,सूचना मिलते ही पुलिस व एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची और लापता युवती की खोजबीन में जुटी हैं। बता दे कि यह पैदल पुल हर साल ग्रामीणों की आवाजाही के लिए लगाया जाता है। इस पुल से कलगोट, लांजी पोखनी किमाणा जखोला सहित अन्य गांवों के ग्रामीण आवाजाही करते हैं। वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने यहां पर झूला पुल बनाने की घोषणा की थी, जो हवाहवाई साबित हुई। आज आठ साल बाद भी इस घोषणा पर अमल में नहीं हो पाया है।

 

 

 

 

 

 

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