उत्तराखंड

दो हजार काश्तकारों को मिलेगा सब्जी उत्पादन का प्रशिक्षण

बागवानी के जरिए काश्तकारों को बनाया जाएगा आत्मनिर्भर
जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल बना रहे हैं वृहद योजना

रोहित डिमरी 

रुद्रप्रयाग। सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में काम करने के इच्छुक काश्तकारों के लिए एक अच्छी खबर है। जिला प्रशासन ने दिसम्बर माह में पहले चरण में जिले के दो हजार काश्तकारों को सब्जी उत्पादन के प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा है। जिले में काश्तकारी के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहे काश्तकारों और विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।

जिले में व्यापक स्तर पर मशरूम और सब्जी उत्पादन के लिए जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने एक वृहद योजना बनाई है। काश्तकारों को सब्जी उत्पादन के जरिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिसम्बर माह में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए कृषि और उद्यान विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है। पहले चरण में प्रशिक्षण के लिए जिले के तीनों ब्लॉकों के अलग-अलग गांवों के करीब दो हजार काश्तकारों को चिन्हित किया जा रहा है। ट्रैनिंग के दौरान ही काश्तकारों की जमीन चिन्हित की जाएगी। इसमें विशेषज्ञ देखेंगे कि जमीन कितनी उपजाऊ है और यहां पर किस तरह की सब्जी या फल उत्पादित हो सकते हैं। ट्रैनिंग के बाद काश्तकारों को बीज और कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे।

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि बड़े लेवल पर काश्तकारों को मशरूम, मौन पालन और सब्जी उत्पादन की ट्रैनिंग दी जाएगी। काश्तकारों को यह बताया जाएगा कि वह खेती-किसानी के जरिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सकते हैं। शुरूआत में दो हजार काश्तकारों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और उसके बाद दूसरे चरण दो हजार और काश्तकारें को प्रशिक्षित किया जाएगा। काश्तकारों को यह भी बताया जाएगा कि जंगली जानवरों से कैसे फसलों को बचाया जा सकता है।

घोड़े-खच्चर संचालकों को दी जाएगी व्यवहार और प्राथमिक उपचार की जानकारी
रुद्रप्रयाग। यात्रा सीजन के दौरान घोड़े-खच्चर संचालकों की मनमानी और अभद्र व्यवहार की शिकायत को देखते हुए जिला प्रशासन अब घोड़े-खच्चर संचालकों को प्रशिक्षण देने की तैयारी में है। इसके साथ ही संचालकों को घोड़े-खच्चरों के प्राथमिक उपचार की बेसिक जानकारी भी दी जाएगी।
अगले माह जिले के एक हजार घोड़े-खच्चर संचालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि अकसर शिकायत मिलती है कि संचालकों का व्यवहार सही नहीं रहता। किसी तरह की बीमारी होने पर घोड़े-खच्चरों की मौत हो जाती है। संचालकों के व्यवहार और प्राथमिक उपचार को लेकर ट्रैनिंग दी जाएगी। ट्रैनिंग का मकसद यही है कि संचालकों का यात्रियों के साथ व्यवहार अच्छा रहे और वह अपने घोड़े-खच्चरों की अच्छे से देखभाल भी कर सकें।

 

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