उत्तराखंड

विज्ञान में असफलता के डर को किया जा रहा दूर: उपाध्याय..

विज्ञान में असफलता के डर को किया जा रहा दूर: उपाध्याय..

डायट रतूड़ा में पांच दिवसीय विज्ञान कौथिग का शुभारंभ..

 

 

रुद्रप्रयाग। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा ने बाल विज्ञान खोजशाला बेरीनाग पिथौरागढ़ के संस्थापक संयोजक आशुतोष उपाध्याय और आशीष काण्डपाल के दिशा-निर्देशन में एनसीईआरटी के कक्षा 6 से 10 तक के विज्ञान के पाठ्यक्रम पर आधारित शिक्षण अधिगम सामग्री (टीएलएम) निर्माण की पांच दिवसीय कार्यशाला विज्ञान कौथिग का आयोजन किया, जिसका शुभारंभ मुख्य शिक्षा अधिकारी एवं डायट के प्राचार्य विनोद प्रसाद सिमल्टी ने सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। राउमावि पाला कुराली के विज्ञान शिक्षक अश्वनी गौड़ ने सन्दर्भ दाताओं का बैज अलंकरण कर स्वागत और अभिनंदन किया।

अपने सम्बोधन में मुख्य शिक्षा अधिकारी ने सन्दर्भ दाताओं का परिचय कराते हुए कहा कि आशुतोष उपाध्याय और आशीष काण्डपाल द्वारा उत्तराखंड के दूरस्थ पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को विज्ञान विषय को प्रयोगिक रूप से समझने के लिए बहुत सराहनीय कार्य किया जा रहा है। उन्होंने दोनों सन्दर्भ दाताओं का जिले और डायट संस्थान में पधारने पर स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह कार्यशाला जिले के विद्यालयों और विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए बहुत उपयोगी होगी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डायट के प्रवक्ता डाॅ विनोद कुमार यादव ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन पांच दिनों में विज्ञान के हम करके सीखने के सिद्धांत के साथ अपने कौशल में वृद्धि करेंगे।

कार्यशाला के सन्दर्भदाता आशुतोष उपाध्याय ने कहा कि वे पिछले 15 सालों से बच्चों के बीच जाकर बच्चों के मन से विज्ञान में असफलता के डर को दूर भगाने के लिए कार्य कर रहे हैं। विज्ञान पाठ्यक्रम की किताबों की भाषा को व्यवहार में लाने के लिए बच्चों की मदद से ही कुछ समझने एवं समझाने के लिए प्रयास करते हैं। उपाध्याय ने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों को विज्ञान सिखाते च पढ़ाते हुए वैज्ञानिक शब्दावली पर बहुत जोर नहीं दिया जाना चाहिए।

सिद्धांत समझने के बाद बच्चा स्वयं ही इसे वैज्ञानिक शब्दावली में बदलने व ढालने के लिए उत्सुक होता है। कार्यशाला में अनंत पथ, चन्द्रमा की कलाएं, विद्युत चुम्बक, प्रकाश का अपवर्तन, आंख की कार्यप्रणाली, चुम्बक का डांस, सूर्य, पृथ्वी, चन्द्रमा, और राशियों के तारामण्डल विद्युत परिपथ समान्तर क्रम, चुम्बकीय ट्रेन, हमारा सौर मण्डल, विद्युत जनरेटर, फेफड़े की कार्य प्रणाली, कान की कार्यप्रणाली, पेरिस्कोप, चुम्बकीय बल रेखा, प्रकाश पथ सहित दो दर्जन मॉडल बना कर प्रदर्शित किये गये। कार्यशाला में अश्वनी गौड़, अंजना रावत, शान्ति गुसाईं, कल्पेश्वर प्रसाद शुक्ला, आनंद प्रकाश मखनवाल, माधुरी, सुरेन्द्र सिंह राणा, रणवीर सिंह सिंधवाल, प्रकाश सिंह, महिपाल सिंह फस्र्वाण, विक्रम नेगी, पारकेश सिंह, पीयूष शर्मा, हेमंत चैकियाल आदि उपस्थित थे।
 

 

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