उत्तराखंड

केदारनाथ का परंपरागत मार्ग दोबारा होगा शुरू..

केदारनाथ का परंपरागत मार्ग दोबारा होगा शुरू..

पीएम मोदी की तपस्थली भी फिर होगी गुलजार..

 

 

 

 

 

 

 

केदारनाथ के परंपरागत मार्ग को दोबारा शुरू करने की उम्मीद जगी है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने रास्ते के निर्माण के लिए चिन्हित क्षेत्र का सर्वेक्षण कर केंद्र सरकार को भेज दिया है। स्वीकृति के बाद जमीन का हस्तांतरण होगा।

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: केदारनाथ के परंपरागत मार्ग को दोबारा शुरू करने की उम्मीद जगी है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने रास्ते के निर्माण के लिए चिन्हित क्षेत्र का सर्वेक्षण कर केंद्र सरकार को भेज दिया है। स्वीकृति के बाद जमीन का हस्तांतरण होगा। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो पारंपरिक रास्ते पर निर्माण यात्रा सीजन के दौरान शुरू हो जाएगा।

आपदा के बाद 2016 से केदारनाथ यात्रा को प्रतिवर्ष नया आयाम मिल रहा है। यात्रा में वृद्धि के कारण पारंपरिक मार्ग को पुनर्जीवितकरने के लिए बीते तीन वर्ष से प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई की जा रही है जो अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। केदारनाथ के वन्य जीवों के भू-सर्वेक्षण का प्रस्ताव राज्य स्तरीय स्वीकृति मिलने के बाद अब शासन को भेजा गया है।

अगले दो महीनों में इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है। वन भूमि के हस्तानांतरण के बाद स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से रास्ता निर्माण की कार्रवाई की जाएगी। इस रास्ते के पुनर्जीवित होने से केदारनाथ की पैदल यात्रा भी आसान हो जाएगी। अधिकारियों की मानें तो आने वाले वर्षों में परंपरागत रास्ते के अस्तित्व में आने पर यात्राकाल में घोड़ा-खच्चरों का संचालन इसी रास्ते से कराया जाएगा।

आपदा में ध्वस्त हो गया था पैदल मार्ग..

आपदा में गौरीकुंड-रामबाड़ा-केदारनाथ पैदल मार्ग रामबाड़ा से केदारनाथ तक कई जगहों पर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। मार्च 2014 में मंदाकिनी नदी के दाहिनी ओर रामबाड़ा से केदारनाथ तक एक नया रास्ता बनाया गया, जिस पर वर्तमान में यात्रा संचालन हो रही है। मार्ग पर जहां रामबाड़ा से लिनचोली तक तीखे मोड़ व चढ़ाई है वहीं यह पूरा क्षेत्र एवलांच जोन है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ इंद्र सिंह नेगी का कहना हैं कि पारंपरिक मार्ग के जीर्णोद्धार के लिए भू- सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है। साथ ही प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। उम्मीद है कि अप्रैल तक स्वीकृति मिल जाएगी।

पीएम मोदी की तपस्थली फिर होगी गुलजार..

आपको बता दे कि परंपरागत रास्ता बनने से पीएम मोदी की तपस्थली गरूड़चट्टी दो तरफा जुड़ जाएगा। साथ ही यात्राकाल में यहां काफी संख्या में यात्री रात्रि विश्राम भी कर सकेंगे। केदारनाथ से गरूड़चट्टी को जोड़ने के लिए बीते वर्ष मंदाकिनी नदी पर स्टील गार्डर पुल बनकर तैयार हो चुका है।

 

 

 

 

 

 

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top