मुआवजे को लेकर व्यापारियों ने ली न्यायालय की शरण, मिली क्लीन चिट..
तीन माह गुजर जाने के बाद सरकार ने नहीं उठाए कोई ठोस कदम..
केदारघाटी के प्रभावित व्यापारियों में सरकार के खिलाफ बना है आक्रोश..
रुद्रप्रयाग: केदारनाथ आपदा को लम्बा अरसा बीत गया है, लेकिन अभी तक प्रभावित व्यापारियों को मुआवजा नहीं मिल पाया है। व्यापारियों ने मुआवजे को लेकर न्यायालय की भी शरण ली, जहां से उन्हें क्लीन चिट मिली है। हाईकोर्ट की ओर से सरकार को छः माह के भीतर व्यापारियों को मुआवजा देने के आदेश दिये हैं, लेकिन तीन माह का समय बीत जाने के बाद भी प्रभावितों को मुआवजा देने की कार्यवाही को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। ऐसे में व्यापारियों में आक्रोश बना हुआ है।
बता दें कि वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा ने सबकुछ तबाह करके रख दिया था। आपदा में सबसे ज्यादा नुकसान व्यापारियों को हुआ था, जिनकी रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया भगवान केदारनाथ की यात्रा पर ही निर्भर थी। केदारघाटी के व्यापारी छः माह केदारनाथ में रोजगार करके सालभर का गुजारा करते हैं, लेकिन आपदा के बाद से 465 व्यापारियों को मुआवजे का 40 प्रतिशत भुगतान किया गया, जबकि चालीस प्रतिशत शेष है। आपदा के दौरान तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने व्यापारियों को चालीस प्रतिशत भुगतान किया, जबकि चालीस प्रतिशत भुगतान को लेकर वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली योजना से लाभ दिये जाने का फरमान जारी किया।
उस समय बड़े व्यापारियों को ए एवं बी श्रेणी में बांटा गया था, जिसमें ए श्रेणी में वो व्यापारी शामिल हैं, जिनके सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक पक्की दुकाने व मकाने थी, जबकि बी श्रेणी में वो व्यापारी हैं, जो मध्यम स्तर पर रोजगार चलाकर अपना गुजर-बसर करते थे। इन व्यापारियों को आपदा के 8-9 साल बाद भी मुआवजे का 40 प्रतिशत नहीं मिल पाया है। सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक 465 व्यापारी हैं, जिन्हें ए और बी श्रेणी में बांटा गया और चालीस प्रतिशन भुगतान किया जाना था, मगर उन्हें भुगतान नहीं किया गया। ऐसे में व्यापारियों ने हाईकोर्ट नैनीताल की शरण ली, जहां से उन्हें तीन माह पहले क्लीन चिट मिली है।
हाईकोर्ट की ओर से सरकार से प्रभावित व्यापारियों को चालीस प्रतिशन भुगतान को कहा गया, मगर सरकार ने प्रभावितों के भुगतान को लेकर कोई कार्यवाही नहीं की है। मुआवजे को लेकर प्रभावित मुख्यमंत्री से लेकर आपदा सचिव और जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग से कई मर्तबा भी मिल चुके हैं, लेकिन उनकी मांग को नहीं सुना जा रहा है। संयुक्त व्यापार संघ श्री केदारनाथ के अध्यक्ष प्रेम सिंह सजवाण, महामंत्री शिव प्रसाद बगवाड़ी, उपाध्यक्ष देवी प्रसाद गोस्वामी, कोषाध्यक्ष रामप्रकाश पुरोहित, व्यापार संघ अध्यक्ष गौरीकुण्ड अरविंद गोस्वामी ने कहा कि आपदा के बाद प्रभावित व्यापारियों को 80 प्रतिशत मुआवजा दिये जाने का फरमान जारी किया गया, जिसमें चालीस प्रतिशत नगद धनराशि और चालीस प्रतिशत वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली से लाभ दिये जाने की बात कही गयी।
इसमें वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली योजना से होटल, ढाबा व मकानों के निर्माण के लिए व्यापारियों को लाभान्वित किया जाना था, मगर ऐसा कुछ नहीं किया गया। अब व्यापारी चाहते हैं कि उन्हें वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली योजना से कोई लाभ नहीं चाहिए। क्योंकि उनकी जमीन आपदा के समय तबाह हो गयी और जो बची है, उसके लिए 143 की कार्यवाही से व्यापारी परेशान हैं। ऐसे में उन्हें चालीस प्रतिशत शेष मुआवजा की धनराशि के रूप में भुगतान किया जाय। व्यापारियों ने कहा कि यदि जल्द ही सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो वे आंदोलन के लिए मजबूर हो जायेंगे।