केदारनाथ के क्षेत्र पाल बाबा भुकुंड भैरव के मंदिर में हुई चोरी…
केदारनाथ धाम मे भगतो द्वारा किया गया दान हुआ चोरी..
आखिर किसने और कैसे हुई पूरी घटना…
सवालों के घेरे मे है देवस्थानम बोर्ड..
उत्तराखंड: गौरीकुण्ड में एक खच्चर संचालक के पास से पौराणिक महत्व की 103 तांबे व कांसे की घंटियां बरामद हुई हैं। जिसके बाद गौरीकुण्ड पुलिस ने भी इस मामले में खच्चर संचालक से पूछताछ की। बताया जा रहा है कि केदारनाथ में श्री भुकुंड भैरव नाथ मंदिर के निकट निवासरत एक साधु ने ये घंटियां भैरव नाथ मंदिर से चुरा कर खच्चर संचालक के माध्यम से तस्करी हेतु भेजी थीं।
आपको बता दे कि साधु वेशधारी विगत कई वर्षों से भैरवनाथ के समीप कुटिया में रह रहा है। उसके द्वारा भैरवनाथ मंदिर में भक्तों द्वारा श्रद्धापूर्वक चढ़ाई गई घण्टियों को समय-समय पर चुरा कर अपनी कुटिया में छिपा कर रखा गया था, जिनमें से 103 घंटियां वह आज खच्चर संचालक के माध्यम से केदारनाथ से गौरीकुण्ड भिजवा चुका था। ऐसी आशंका है कि पूर्व में भी साधु वेशधारी ने पौराणिक महत्व की घंटियां व अन्य कीमती वस्तुओं को चुरा कर तस्करी की होगी। जिसमें एक पूरा गिरोह शामिल होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
इस मामले में जब पुलिस के द्वारा देवस्थानम बोर्ड को इस घटना की जानकारी दी गई तो बोर्ड के कर्मचारियों ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ दिया कि भैरवनाथ मंदिर पर रुद्रपुर गांव के तीर्थ पुरोहितों का अधिकार है। ऐसे में चोरी की इस घटना पर कार्यवाही रुद्रपुर वाले ही करेंगे।
अब पकड़े जाने पर उसके खिलाफ कार्यवाही करने से देवस्थानम बोर्ड या पुलिस क्यों हिचकिचा रही है? पूरा दिन गुजर जाने के बाद भी रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं हो पाई है। कोरोना काल में जब केदारनाथ जाने के लिए तीर्थ पुरोहितों समेत देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारियां को भी पास अनिवार्य किये गये तो इस साधु वेश धारी को बिना पास के वहां रहने की अनुमति क्यों दी गई?
राकेश रमन शुक्ला की ✍ से..