उत्तराखंड

इस महिला आईपीएस अधिकारी से ख़ौफ़ खाते हैं अपराधी

संजय चौहान

चमोली। इन दिनों सीमांत जनपद चमोली में अपराधों में एकाएक कमी देखने को मिली है। जनपद में विगत चार महीनों से अवैध खनन, शराब माफिया, वन तस्करों से लेकर जुआ खेलने वालों पर शिकंजा कसा है तो चोरी की घटना न के बराबर है। कहीं भी किसी प्रकार की घटना की जानकरी मिले तो वह सबसे पहले वहां मौजूद होती है।

आज हम आपको ऐसी ही एक अफसर बेटी से रूबरू करवा रहे हैं, जिन्होंने बेहद कम समय में अपनी कार्यशैली से सूबे में अपनी अलग ही पहचान बनाई हैं। वो है सीमांत जनपद चमोली में कार्यरत एसपी तृप्ति भट्ट।

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद की एकता बिष्ट ने महिला विश्व कप क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर पूरे विश्व में अल्मोड़ा का नाम रोशन किया। जबकि अल्मोड़ा से कई बेटियों ने राष्ट्रीय स्तर पर बेडमिंटन में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है और अब अल्मोड़ा की एक आइपीएस बेटी के कड़क तेवर और अपने कर्तव्यों के प्रति सजगता ने उन्हें सूबे में अलग पहचान दिलाई है।

तृप्ति भट्ट मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद की हैं और वर्तमान में चमोली जनपद में पुलिस महकमे की मुखिया हैं। शिक्षक परिवार की बेटी से लेकर आईपीएस बनने तक का सफ़र तृप्ति भट्ट के बुलंद होंसलों की कहानी खुद बयां करती है। उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से ये मुकाम पाया है और आज वे हजारों बेटियों के लिए एक मिसाल और रोल माॅडल भी हैं। तृप्ति ने बचपन से ही खेलकूद से लेकर पढ़ाई में अपना परचम लहराया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।

तृप्ति जब कक्षा नौ में थी तो राष्ट्रपति भवन से अल्मोड़ा में आयोजित कार्यक्रम का न्यौता मिला था। यहां वे पहली बार राष्ट्रपति डॉ. कलाम से रूबरू हुई। पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम से मिलना तृप्ति के जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुआ। कलाम से मिलने के बाद ही जीवन में कुछ करने की प्रेरणा मिली, कलाम की साधारण शख्सियत ने उन्हें बेहद प्रभावित किया। इस दौरान डा. कलाम ने उन्हें एक हस्तलिखित पत्र दिया, जिसमें कई प्रेरणाप्रद बातें लिखी थी। पत्र आज भी तृप्ति के पास पूरी हिफाजत के साथ है।

10वीं और 12वीं में 90 फीसदी से अधिक अंक हासिल करने के बाद तृप्ति भट्ट ने गोविन्दबल्लब पन्त कृषि विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजिनियर में बीटेक की डिग्री हासिल की। जिसके बाद सरकारी और अर्धसरकारी विभागों में उन्हें 7 जगह से नौकरियों का बुलावा आया। इसमें बंगलुरू स्थित इसरो में साइंटिस्ट की पोस्ट भी थी। परन्तु तृप्ति भट्ट ने नौकरी के लिए नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) में सहायक प्रबंधक का पद चुना।

लेकिन मन यहीं तक सीमित नहीं रहा और कुछ अलग करने की ठानी। जिसके लिए तृप्ति ने सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी। कड़ी मेहनत और लगन के बूते पहले ही प्रयास 2013 की सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की और भारतीय पुलिस सेवा के लिए उनका चयन हो गया।

तृप्ति बचपन से ही होनहार थी। चाहे पढ़ाई हो या खेलकूद हो या फिर अन्य गतविधियाँ। हर जगह अपनी अलग पहचान बनाई। तृप्ति कुशल एथलीट भी हैं। राष्ट्रीय स्तर की 14-16 किमी मैराथन और राज्य स्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता की वह गोल्ड विजेता रही हैं। जबकि ताइक्वांडो और कराटे में भी दक्ष हैं। वहीँ खो-खो टीम की कप्तान रही तो हॉस्टल की जनरल सेक्रिटी, भाषण प्रतियोगिताओं में हमेशा प्रथम स्थान मिलता था। यूनिवर्सिटी में भी तृप्ति ने मेरिट स्कालर्शिप हासिल की, इसके अलावा तृप्ति को कवितायें लिखने, संगीत सुनने, गाने, फोटोग्राफी और ट्रैकिंग का भी शौक भी बचपन से ही था।

आइपीएस की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उच्च रैंक और बेस्ट कैडिट होने की वजह से उन्हें अपना गृह कैडर मिला। प्रशिक्षु आईपीएस के तौर पर पहली तैनाती विकासनगर थाने में बतौर एएसपी हुई। यहां अवैध खनन के खिलाफ उनके अभियान ने माफिया के पैर उखाड़ दिए। मात्र 21 दिन में 70 से अधिक अवैध ट्रकों को सीज कर दिया था। तृप्ति की इस कार्यवाही से चारों ओर हड़कम्प मच गया था और बहुत कम समय में ही तृप्ति की पहचान तेज-तर्रार पुलिस अफसर की हो गई थी। हर जगह उनकी वाहवाही हो रही थी। दो माह बाद ही उन्हें तीर्थनगरी ऋषिकेश भेज दिया गया। यहां पर भी तृप्ति ने अवैध अतिक्रमण से लेकर अवैध खनन, अवैध शराब सहित अन्य अपराधों पर लगाम कसी।

जबकि चमोली में तैनाती के बाद तृप्ति ने महज चार महीने में ही अवैध खनन से लेकर अवैध शराब, अवैध वन तस्करी, बहुत कम समय में अपराधों को नियंत्रित किया। अप्रैल माह में चमोली एसपी का कार्यभार ग्रहण करने के बाद तृप्ति के सामने सबसे बड़ा टास्क बद्रीनाथ यात्रा और हेमकुंड यात्रा को सुचारू रखना तथा तीर्थयात्रियों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो इसके पुख्ता इंतजामात करना। तृप्ति ने बेहद अनुभवी अफसर की तरह हर छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखा और बद्रीनाथ यात्रा से लेकर हेमकुंड यात्रा में बंदोबस्तों की कमान खुद के हाथों में ली और यात्रा में कहीं से किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी।

बद्रीनाथ में महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के आगमन पर सुरक्षा बंदोबस्त की जिम्मेदारी को भी उन्होंने बखूबी निभाया। जिसकी बानगी महामहिम द्वारा बद्रीनाथ थाने की भूरि-भूरि सराहना करने से चरितार्थ होती है। वहीं जोशीमठ के पास विष्णुप्रयाग में हाथी पहाड़ टूट जाने के कारण बद्रीनाथ यात्रा प्रभावित हुई, जिससे सडक के दोनों और हजारो की संख्या में तीर्थयात्री फंसे रहे। सडक अवरुद्ध होने की सूचना मिलते है तृप्ति भट्ट मौके पर पहुंची और खुद मोर्चा संभाला। उनके प्रयासों से तीर्थयात्रियों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई और लोगों ने एसपी की प्रशंसा भी की। तृप्ति भट्ट ने अवैध शराब के खिलाप अभियान छेड़ा हुआ है। अभी तक जनपद में लाखों रूपये की अवैध शराब पकड़ी जा चुकी है। जबकि लाखों रुपये की बहुमूल्य कीडाजड़ी तस्करों से पकड़ी जा चुकी है। इसके अलावा अवैध अतिक्रमण से लेकर अवैध खनन, चोरियों और अपराधों पर अंकुश लगा है। उनके नेतृव में बेहद कम समय में कई आपराधिक घटनाओं का खुलासा भी हुआ।

तृप्ति भट्ट ने राजकीय बालिका इंटर कॉलेज गोपेश्वर में छात्राओं और शिक्षिकाओं को महिला अधिकारों, महिला हिंसा, महिला सुरक्षा से लेकर साइबर क्राईम के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया और उपयोगी जानकारी भी प्रदान की। जिले की युवा आइपीएस अधिकारी से मिलकर छात्रायें और शिक्षिकाये बेहद खुश नजर आई थी।

बकौल, तृप्ति भट्ट समाज को अपराधमुक्त करने और महिलाओं को अधिकारों के प्रति जागरूक करना उनकी पहली प्राथमिकता है। आज बेटी वह सब कुछ कर सकती है, जो एक बेटा कर सकता है। बेटियां आज हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है।

माई एडवेंचर क्लब (मैक) की निदेशक शिवानी गुसाईं कहती हैं कि एक दल जिसमें सभी लड़कियां थी, अक्टूबर 2016 में कालीमठ के चौमासी गांव से केदारनाथ ट्रैक पर गया था। जिसमें आइपीएस तृप्ति भट्ट भी थी। इस दौरान उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया और सभी लड़कियों को हौसला देने के साथ-साथ मोटीवेट भी किया। ट्रैक पर गई सभी लड़कियां आज भी उनसे बेहद प्रेरित हैं और उन्हें रोल मॉडल मानती हैं।

वास्तव में तृप्ति भट्ट जैसी युवा तेज-तर्रार आइपीएस बेटी उत्तराखंड ही नही बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है। उन्होंने अपने कार्यों से साबित करके भी दिखाया है कि यदि अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन किया जाय और जिम्मेदारियों का अहसास हो तो समाज के लिए उदारहण पेश किया जा सकता है। तृप्ति आज हजारों युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है।

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