उत्तराखंड

कुष्ठ आश्रम में संक्रमण का खतरा, पालिका प्रशासन मौन

पिछले साल 5 लोगों को हो चुका है डेंगू और मलेरिया

आवासीय फ्लैट के गंदे पानी के पाइप भी आश्रम की ओर छोड़े गए

सुमित जोशी

रामनगर(नैनीताल)। उच्चतम न्यायालय, केन्द्र सरकार और एनजीटी ने देश में स्वच्छ को लेकर जरूर कड़ा रुख अख्तियार किये हुए है। लेकिन स्वच्छ भारत के इस अभियान को किस तरह जमीनी स्तर पर पलीता लगाया जा रहा है। इसकी बानगी नैनीताल जिले के रामनगर स्थित कुष्ठ आश्रम में साफ तौर पर देखी जा सकती है। जहां प्रशासनिक तंत्र के लचर रवैये के चलते बीमारियों का खतरा पैदा हो गया है। लेकिन वहां रह रहे कुष्ठ रोगियों की समस्याओं की सुध लेने वाला कोई नहीं है।

कुष्ठ रोग से ग्रसित लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश लगातार होती रही है। मगर देश में स्वच्छता की अलख जगने के बाद भी रामनगर स्थित कुष्ठ आश्रम में रह रहे 14 परिवारों को प्रशासनिक तंत्र के लचर रवैये के चलते पल पल बीमारी का खतरा सताने लगा। आलम ये है की भवानीगंज के एक इलाके के गंदे पानी का नाला आश्रम के परिसर से ही होकर गुजरता है। इसके अलावा आश्रम के पास बने आवासीय फ्लैटों के गंदे पानी के पाइपों को भी यहां से होकर गुजरने वाले नाले में ही छोड़ा गए हैं। मगर नाले के छोर पर बनी पुलिया चोप होने से वहां जल भराव की समस्या पैदा हो गया है। जिसके चलते पानी ओवरफ्लो होने के कारण गंदा पानी कभी कभी आश्रम परिसर में आ जाता है।

नाले के ऊपर हुए अवैध निर्माण के चलते सफाई कर्मियों को भी वहां सफाई करने में दिक्कत होती है। जिस कारण कुष्ठ आश्रम में रह रहे लोगों के सामने बिमारियों खतरा मंडराने लगा है। वर्तमान में यहां 14 परिवार हैं। इसमें करीब 60 लोग रह रहे हैं। जिनमें से 18 लोग कुष्ठ रोग से ग्रसित है। कुष्ठ आश्रम में रह रहे लोगों का कहना है कि बीते साल यहां रहने वाले 5 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई थी। इसके अलावा कुछ को मलेरिया, पीलिया भी हो चुका है। उन्होंने कई बार इसकी शिकायत भी की है लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। इस बारे में जब नगर पालिका अधिशासी अधिकारी मनोज दास से पूछा गया तो उनका कहना है कि वहां सफाई करा कर समय समय दवा का छिडकाव भी कराया जाएगा।

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