उत्तराखंड

तथ्यों के साथ खबर प्रकाशित करने पर मंदिर समिति ने पत्रकार को भेजा नोटिस..

तथ्यों के साथ खबर प्रकाशित करने पर मंदिर समिति ने पत्रकार को भेजा नोटिस..

उत्तराखण्ड में कोई नहीं मिला तो दिल्ली से हाॅयर किया वकील..

 

 

 

 

 

 

रुद्रप्रयाग। श्री बद्री-केदार मंदिर समिति में हो रही अनियमितताओं को लेकर जहां विपक्षी पार्टी कांग्रेस द्वारा लगातार राज्य सरकार एवं मंदिर समिति पर हमले किये जा रहे हैं, वहीं खबर को प्रकाशित करने पर बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय भट्ट बौंखला उठे हैं। जिसके चलते उन्होंने दिल्ली के एक वकील को हाॅयर कर एक पत्रकार को नोटिस जारी करा डाला है।

शायद उन्हें यह अहसास था कि आने वाले समय में अभी मंदिर समिति के कई कारनामों को उजागर किया जा सकता है। उनके स्वयं सेवक भाई के अचानक लिपिक बनने के मामले पर तो कोई सफाई आई नहीं, लेकिन मामले के अखबारों और सोशल मीडिया में छाने के बाद उत्तराखण्ड से दूर दिल्ली के एक वकील के माध्यम से माफीनामे का नोटिस जरूर भिजवाया गया। कांग्रेस की ओर से मंदिर समिति में हाल ही में नियम विरूद्ध हुए प्रमोशनों पर भी सवालियां निशान खड़े किये गये थे, जिस पर कांग्रेस ने कहा था कि मंदिर समिति में प्रमोशन पाने वाले कार्मिक स्वयं अपनी प्रमोशन समिति में बैठे थे,

जो कि नियम विरूद्ध है एवं तबादला एक्ट के खिलाफ समिति द्वारा 70 तबादलों को मध्य यात्राकाल में अंजाम दिया गया। जिस पर कांग्रेस द्वारा घोर आपत्ति जताई गई थी। इन खबरों को कई समाचार पत्रों एवं न्यूज पोर्टलों द्वारा भी प्रकाशित किया गया था। जिसके बाद मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय द्वारा मंदिर समिति का पक्ष ना रखकर सीधे दिल्ली के अधिवक्ता द्वारा नोटिस भिजवाया गया। सवाल यह भी है कि अगर नोटिस भिजवाना ही था तो क्या उत्तराखण्ड सरकार में मंदिर समिति में कोई अधिवक्ता नहीं था या उत्तराखण्ड के भीतर कोई दूसरा योग्य अधिवक्ता नहीं है, जो इस काम को कर सकता था।

लेकिन यह भी एक सोची-समझी साजिश है, जो कि भाजपा सरकार में पत्रकारों को डराने के लिए नया रास्ता खोजा गया है। लेकिन तथ्यों के साथ सच को उजागर करने वाले पत्रकारों को इस प्रकार के नोटिसों से नहीं धमकाया जा सकता है और सरकार को अपने गिरेबान में देखना चाहिए। साथ ही सरकार द्वारा बांटे गये दायित्व धारियों की कार्यप्रणाली पर बारीकी से पैनी नजर रखनी होगी। क्यों कि माननीयों द्वारा अपनी मनमानी की जा रही है। जिससे वो अपने परिजनों को लाभ पहुंचाने के लिए सीमा से बाहर जाकर असंवैधानिक तरीके से किसी भी हद को पार करने के लिए बेचैन हैं।

 

 

 

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