सोशल मीडिया। उठो ये जन नायक
अभी तुम्हे असख्यं स्वर्ण गीत रचने है।
उठो ये जन रत्न
अभी तुम्हारे कंठ से कई शब्द सजने है
तुमने ही संस्कृति को विश्व पटल उज्जवल करना है
हमें तो बस आपके पद चिन्हों पर चलना है।
तुम्हे अभी नारी के दर्द को आवाज देना है
तुम्हे अभी नदियों के कल कल को साज देना है
उठो ये संस्कृति नायक
उठो तुम्हे पहाड़ पुकार रहा है
उठो प्रकृति नायक
तुम्हे अभी नई पीढ़ी को लोरी सुनानी है
तुमने अभी फुल देई पर पुष्प टोखरी सजानी है।
तुमने अभी बुढपे के दर्द को गीतों में ढालना है
तुमने अभी भ्रष्ट शासको को गद्दी से उतारना है
उठो ये जन प्रिय
करोड़ों हाथ स्वाथ्य लाभ के लिए उठे है
उठो ये हिम पुत्र
हम तुमारी आवाज सुनने को बैठे है
(दिनेश सेमवाल)