अंगीठी की गैस में दम घुटने से बुजुर्ग की मौत..
उत्तराखंड: अंगीठी की गैस से दम घुटकर चंपावत के चौड़ाकोट गांव के एक बुजुर्ग की मौत हो गई। बुजुर्ग की पत्नी भी बेहोश हो गई थी। इलाज के बाद उसकी तबीयत में सुधार है। चंपावत जिले में अंगीठी की गैस से दम घुटकर मौत की घटना इस साल की यह पहली घटना है। आपको बता दें कि रुद्रपुर में 18 दिसंबर को अंगीठी के धुएं में दम घुटने से जसपुर के मोहल्ला भूपसिंह निवासी दो युवकों की मौत हो गई थी, जबकि तीसरे युवक को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।
पाटी ब्लॉक के चौड़ाकोट निवासी तेज सिंह (70) पुत्र हर सिंह और उनकी पत्नी बसंती देवी (60) रात में अंगीठी जलाकर सो गए थे। रविवार सुबह उनकी बहू ने उन्हें जब चाय देने के लिए दरवाजा खटखटाया तो किसी ने दरवाजा नहीं खोला। बहू ने पड़ोसियों को बुलाया और कमरे का दरवाजा खुलवाया। अंदर देखा तो बुजुर्ग दंपती बेसुध पड़े थे। तत्काल 108 एंबुलेंस सेवा को फोन किया। इससे पहले कि एंबुलेंस आती तेज सिंह ने दम तोड़ दिया।
वही अचेत हालत में बसंती देवी को पाटी के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने इलाज के बाद बुजुर्ग महिला की तबीयत में सुधार बताया है। जब महिला को ठीक होने पर घर लाया गया तो पति की मौत के सदमे में वह कई बार बेहोश हुई। बुजुर्ग दंपती के तीन बेटे हैं। जो दिल्ली में निजी कंपनी में नौकरी करते हैं।
बंद कमरे में अंगीठी जलाने से फेफड़ों तक पहुंचती है कार्बन मोनोऑक्साइड..
बंद कमरे में लकड़ी या कोयले की अंगीठी को जलाए रखना बेहद खतरनाक है। सीएमओ डॉ. आरपी खंडूरी का कहना है कि बंद कमरे में अंगीठी जलने से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। अंगीठी की गैस (कार्बन मोनोऑक्साइड) सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचती है। इससे गैस खून में मिल जाती है और हीमोग्लोबिन कम होने से इंसान दम तोड़ देता है। अंगीठी से निकलने वाली गैस फेफड़ों के अलावा आंखों को भी नुकसान पहुंचाती है। आंखों पर सूखेपन से जख्म का खतरा बढ़ जाता है।