कौशल विकास की पहल से उत्तराखंड की तीन लाख महिलाएं बनेंगी ‘लखपति दीदी..
अभी तक एसएचजी से जुड़ीं महिलाएं आमतौर पर आचार, पापड़, हेंडिक्राफ्ट, सब्जी, रेशम, फल जैसे कामों तक ही सीमित हैं। आने वाले दिनों में इन महिलाओं को इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, टेंट हाउस, राजमिस्त्री, खाद बनाने, आर्गेनिक खेती, एलईडी बल्ब बनाने जैसे कामों में दक्ष बनाया जाएगा।
उत्तराखंड: आने वाले दिनों में इन महिलाओं को इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, टेंट हाउस, राजमिस्त्री, खाद बनाने, आर्गेनिक खेती, एलईडी बल्ब बनाने जैसे कामों में दक्ष बनाया जाएगा।एसएचजी की ओर से तैयार उत्पादों के विपणन के लिए एनआरएलएम कार्यक्रम के माध्यम से इन्हें एक छत के नीचे लाया जाएगा। ताकि अलग-अलग समूहों को काम बांटकर इनकी एक चेन बनाई जा सके।
इसके तहत समूहों को बैंक लोन लेने में भी आसानी होगी। पिछले वित्तीय वर्ष में 11 हजार समूहों को लोन दिलवाया गया था। इस बार यह लक्ष्य 18 हजार रखा गया है। राज्य के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी बजार मिले, इसके लिए भी योजना के तहत प्रयास किए जाएंगे। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं महिलाओं के उत्पादों को उचित बाजार दिलवाने के लिए अमेजन, फ्लिपकार्ट, मंतरा, पे-टीएम मॉल जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइटों और गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस (जेम) से भी अनुबंध किया जा रहा है।
राज्य स्तरीय उत्तरा विपणन केंद्रों की संख्या बढ़ेगी..
आपको बता दे कि प्रदेश में वर्तमान में राज्य स्तरीय दो उत्तरा आउटलेट स्थापित किए जा चुके हैं। इनमें एक रानीपोखरी और एक रायपुर में स्थापित है। आजीविका मिशन के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रदीप पांडेय का कहना हैं कि आने वाले दिनों में इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही 13 जिला स्तरीय आउटलेट (सरस सेंटर), ब्लाक स्तर पर नौ क्लस्टर आउटलेट, 33 नैनो पैकेजिंग यूनिट और 24 ग्रोथ सेंटरों की स्थापना की गई है। जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर भी एक आउटलेट बनाया गया है। इसके अलावा चारधाम यात्रा रूटों पर 17 अस्थायी आउटलेट बनाए गए हैं। जहां एसएचजी की ओर से तैयार उत्पादों को बेचा जाता है।