उत्तराखंड

वातावरण में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने का लिया संकल्प..

वातावरण में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने का लिया संकल्प..

नेत्र शिविर के तहत 77 की जांच, 23 को बांटे चश्में..

आरकेएसके के तहत 48 के हीमोग्लोबिन की हुई जांच..

क्षय रोग उन्मूलन व तंबाकू छोड़ने को किया जागरूक..

 

 

 

 

 

 

 

 

 

रुद्रप्रयाग। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में अगस्त्यमुनि ब्लाॅक के अंतर्गत राइंका पठालीधार में आयोजित इंटरनेशनल डे ऑफ क्लीन एअर फॉर ब्लू स्काई के मौके पर वातावरण में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने का संकल्प लिया गया। इस अवसर पर नेत्र जांच शिविर का आयोजन कर 23 को चश्में वितरित किए गए तथा राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के अंतर्गत 48 के हीमोग्लोबिन की जांच भी की गई।

राजकीय इंटर कालेज पठालीधार में आयोजित कार्यक्रम में ऐपिडेमियोलॉजिस्ट डाॅ शाकिब हुसैन द्वारा वातावरण में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आंख में जलन, नींद व एकाग्रता में कठिनाई, सिर दर्द, तीव्र श्वसन संबंधित समस्या वायु प्रदूषण के अल्पकालिक प्रभाव हैं, जबकि अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर, स्ट्रोक, जन्म दोष, गर्भावस्था में कठिनाई, कम जन्म वजन इसके दीर्घ कालिक प्रभाव हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण आपके स्वास्थ्य को छोटी व लंबी अवधि में प्रभावित कर सकता है, यह न केवल आपके जीवन चक्र बल्कि आपके परिवार की भावी पीढ़ियों पर भी असर डाल सकता है। उन्होंने वायु प्रदूषण के स्तर को रोकने के लिए जनजागरूकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के तहत पोषण के बारे में जागरूक किया गया इस अवसर पर काउंसलर आरकेएसके विपिन सेमवाल द्वारा 48 किशोर-किशोरियों के हीमो ग्लोबिन की जांच की गई। नेत्र जांच शिविर में नेत्र सहायक राजेश पुरोहित द्वारा 40 वृद्धजनों व 37 छात्र-छात्राओं के आंखों की जांच की गई, जिसमें से 17 वृद्धजनों व 6 छात्र-छात्राओं को चश्में वितरित किए गए। डीपीसी राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम मुकेश बगवाड़ी द्वारा टीबी रोग के लक्षणों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी,

बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत नि-क्षय पोषण योजना का संचालन किया जा रहा है, जिसमें पंजीकृत टीबी रोगी को नियमिति रूप से दवाई खाने पर प्रत्येक माह पोषाहार भत्ता के रूप में उपचार अवधि तक पांच सौ रूपए दिया जाता है। साथ ही क्षय रोगी को दवा खिलाने वाले ट्रीटमेंट सपोर्टर को भी एक हजार एवं पांच हजार रुपए दिया जाता है। सोशल वर्कर एनटीसीपी दिगपाल कंडारी द्वारा तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में एपिडेमियोलॉजिस्ट डाॅ शाकिब हुसैन ने जल जनित रोगों से बचाव के बारे में जागरूक किया। रूके हुए पानी में डेंगू का मच्छर पनपने की आशंका बनी रहती है। लिहाजा डेंगू से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि डेंगू के मच्छर को पनपने ही न दें। इसके लिए घरों के आस-पास पानी एकत्रित न होने दें।

उन्होने जल भंडारण की वस्तुओं को ढक कर रखने, कूलर, फूलदान, टंकी आदि ऐसी चीजें जहां पानी एकत्र हो सकता है वहां पानी एकत्र न होने दें व इन स्थानों पर सप्ताह में एक बार सफाई करने तथा डेंगू के मच्छर से बचाव हेतु पूरी बांहों वाले कपड़े पहनने, मच्छरदानी, मच्छर नाशक क्रीम, स्प्रे आदि का प्रयोग करने की अपील की है। इस अवसर पर प्रधानाचार्य मो आसिफ, शिक्षक प्रद्युमन भंडारी, धर्मेंद्र नेगी, सुधीर बर्त्वाल, डीईओ कलम सिंह आदि मौजूद रहे।

 

 

 

 

 

 

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