उत्तराखंड

नंदा देवी लोकजात यात्रा का कार्यक्रम घोषित..

चमोली जिले में भादौं महिने में होता है नंदा देवी लोकजात का वार्षिक आयोजन..

12 बरसों में आयोजित होती हैं नंदादेवी राजजात..

तीन सप्ताह तक चलती हैं नंदा देवी लोकजात..

 

 

उत्तराखंड: चमोली जिले में भादौं के महिने में नंदा की वार्षिक लोकजात का आयोजन होता है। 12 बरसों में आयोजित होने वाली नंदादेवी राजजात के अलावा वार्षिक जात भी होती है, जिसे लोकजात कहा जाता है। पूरे तीन सप्ताह तक चलने वाली लोकजात का भी खास महत्व है। जनपद चमोली की नंदाकिनी, अलकनंदा और पिंडर नदी घाटी के लगभग 800 गांवो में नंदा की वार्षिक लोकजात के दौरान पूरा लोक नंदामय बना रहता हैं। इस बार श्री नंदा देवी लोक जात यात्रा 2021 के कार्यक्रम की घोषणा हो चुकी है।

 

कार्यक्रम के अनुसार यात्रा 31 अगस्त से शुरू होगी, जबकि यात्रा का समापन 20 सितंबर को होगा।मंदिर समिति एवं आयोजन कमेटी कुरूड़, देवराड़ा के तय कार्यक्रम के अनुसार 31 अगस्त को देवी यात्रा कुरूड़ सिद्धपीठ से शुरू होगी। उस दिन यात्रा रात्रि विश्राम के लिए चरबंग पहुंचेगी। अगले दिन 1 सितंबर को यात्रा चरबंग से कुंडबगड़ होते हुए रात्रि प्रवास के लिए मथकोट पहुंचेगी। 2 सितंबर को मथकोट से धरगांव, घाट होते हुए रात्रि विश्राम के लिए उस्तोली, 3 को उस्तोली से लांखी होते हुए भेटी, 4 को भेटी से स्यारी बंगाली होते हुए रात्रि विश्राम के लिए थराली ब्लाक के बूंगा गांव पहुंचेगी।

 

 

5 सितंबर को बूंगा से सोलडुंग्री, 6 को सोलडुंग्री से केरा, मैन होते हुए सूना, 7 को सूना से थराली नगर क्षेत्र होते हुए चेपड़ो, 8 को चेपड़ो से कोठी, धरातल्ला, धरामल्ला होते हुए बेराधार, 9 को बेराधार से इच्छोली होते हुए फल्दिया गांव, 10 को फल्दिया गांव से कांडे, पिलखड़ा, ल्वाणी, हरनी होते हुए मुंदोली,11 को मुंदोली से लोहाजंग, कुलिंग होते हुए रात्रि विश्राम के लिए लाटूधाम वांण पहुंचेगी। 12 को वांण से लाटूधाम के मंदिर, रणकाधार होते हुए निर्जन पड़ाव गैरोली पातल पहुंचेगी। 13 को गैरोली पातल से प्रात: काल वेदनी बुग्याल जहां पर नंदा देवी की जात ( नंदा देवी की विशेष पूजा-अर्चना) पितरों को तर्पण सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के साथ एक तरह से यात्रा का समापन होगा।

 

इसके बाद यात्रा वापस देवराड़ा के लिए आ जाएगी। उस दिन यात्रा बांक गांव में रात्रि विश्राम करेगी। 14 को यात्रा बांक से लोहाजंग, बगड़ीगाड़ होते ल्वाणी पहुंचेगी, 15 को ल्वाणी से कांडे, बमणबेरा होते हुए उलंग्रा, 16 को उलंग्रा हाटकल्याणी, देवाल होते हुए पूर्णा, 17 को पूर्णा से चिड़िगा होते हुए जौला, 18 को जौला से त्रिकोट, सेरा होते हुए बिजेपुर, 19 को बिजेपुर से तलवाड़ी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए बैनोली गांव पहुंचेगी। 20 सितंबर को यात्रा बैनोली से लोल्टी, तुंगेश्वर होते हुए सिद्धपीठ देवराड़ी पहुंचेगी, जहां पर पूरे विधि-विधान के साथ नंदादेवी के उत्सव डोली को मंदिर के गर्भगृह में विराजमान किया जाएगा और यही पर अगले 6 माह तक डोली की पूजा-अर्चना की जाएगी।

 

 

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