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ये हैं भारत की सबसे शक्तिशाली महिलाएं जिन्होंने बदल दिया इतिहास..

ये हैं भारत की सबसे शक्तिशाली महिलाएं जिन्होंने बदल दिया इतिहास..

देश-विदेश: 8 मार्च को हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि महिलाओं का सम्मान किया जा सके, महिलाओं को उनके हक दिलाए जा सके। जिसमे महिलाओं को बताया जा सके कि उन्हें भी इस समाज में बराबरी का हक मिल सकता है। वहीं, बात जब हक की आती है, तो महिलाएं अपने हक की लड़ाईयां लड़ने को हमेशा आगे रहती हैं। आज हम आपको भारत की सबसे सशक्त महिलाओं के बारे में बताते हैं, जिन्होंने इतिहास को पूरी तरह बदल दिया।

 

इंदिरा गांधी: भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जिनका जन्म 19 नवंबर 1917 को एक प्रतिष्टित परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं हैं। इंदिरा गांधी ने बचपन में ही ‘बाल चरखा संघ’ की स्थापना की थी, और असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सहायता के लिए बच्चों के सहयोग से 1930 में एक ‘वानर सेना’ का निर्माण भी किया था। 1942 में उन्हें जेल में डाल दिया गया। महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में 1947 में उन्होंने दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य भी किया। वे अगस्त 1964 से लेकर फरवरी 1967 तक राज्य सभा और फिर चौथे, पांचवें और छठे सत्र में लोकसभा की सदस्य भी रही थी। जिसके बाद वो लगातार आगे बढती गई।

 

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई: लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1935 को वाराणसी में हुआ था। उनका वास्ताविक नाम मणिकार्णिका था। उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध ऐसा संग्राम छेढ़ा था कि अंग्रेज भी उनकी वीरता देखकर हैरान रह गए थे। उन्होंने आखिरी दम तक अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी जंग जारी रखी। देश को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए उन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया। अंग्रेजों से लोहा लेते हुए महज 23 साल की उम्र में ही लक्ष्मीबाई ने अपने प्राणों की आहुति दे दी और आज भी उनके इस बलिदान के लिए पूरा देश उन्हें याद करता है।

 

सरोजिनी नायडू: सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। सरोजिनी नायडू एक कवयित्री थी और बंगला में लिखती थी। उन्होंने सभी अंग्रेजी कवियों की रचनाओं का अध्ययन महज 14 साल की उम्र में ही कर लिया था। भारतीय समाज में फैली कुरीतियों के लिए उन्होंने भारतीय महिलाओं को जागृत किया। जलियांवाला बाग हत्याकांड से विकल होकर उन्होंने 1908 में मिला ‘कैसर-ए-हिन्द’ सम्मान लौटा दिया था। वे उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपान भी बनीं।

 

कल्पना चावला: कल्पना चावला पर आज भी देश गर्व करता है। घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर कल्पना ने चांद तक का सफर तय किया था। कल्पना चावला अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाली दूसरी भारतीय महिला थीं। 35 साल की उम्र में उन्होंने पृथ्वी की 252 परीक्रमाएं लगाकर देश ही नहीं बल्कि दुनिया को भी हैरान कर दिया था। छह अंतरिक्ष यात्रियों  के साथ उन्होंने स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से उड़ान भरी। अपने पहले मिशन के दौरान कल्पना ने 1.04 करोड़ मील सफर तय करते हुए करीब 372 घंटे अंतरिक्ष में बिताए थे। लेकिन जब 1 फरवरी 2003 को वो धरती पर लौट रही थी, तभी खबर आई कि इस यान का संपर्क टूट गया है। जिसके बाद कल्पना चावला की मौत की खबर ही आई।

 

मदर टेरेसा: एक ऐसी महिला जिसने हमेशा शांति का प्रचार किया। कोलकाता में रहकर एक आश्रम में उन्होंने बेसहारा लोगों की मदद की, एक बार जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा था कि आपकी भारत को लेकर क्या राय है? तो इस पर उन्होंने कहा कि मैं सभी धर्म के लोगों से प्रेम करती हूं। मदर टेरेसा को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। उन्होंने बिना किसी इच्छा भाव के हमेशा लोगों की सेवा की और उनके दुखों को हमेशा ही अपना माना।

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