उत्तराखंड

गैरसैंण राजधानी के लिए रुद्रप्रयाग में उग्र हुआ आंदोलन

आंदोलनकारियों ने जनगीत यात्रा के साथ निकाला जुलूस

रुद्रप्रयाग। गैरसैंण स्थाई राजधानी का आंदोलन अब उग्र रूप लेता जा रहा है। रविवार को रुद्रप्रयाग में सैकड़ों की संख्या में लोग गैरसैंण राजधानी के लिए सड़कों पर उतर आए। इस दौरान जनगीत यात्रा के साथ जूलस-प्रदर्शन किया गया।

गैरसैंण स्थाई राजधानी संघर्ष मोर्चा के बैनल तले आज गैरसैंण को राजधानी घोषित करने की मांग को लेकर रुद्रप्रयाग बाजार में ढोल-नगाड़ों के साथ जनगीत यात्रा निकाली गई। यात्रा में संगम बाजार से बड़ी संख्या में आंदोलनकारी शरीक हुए। सभी ने एक स्वर में गैरसैंण राजधानी के समर्थन में जमकर नारेबाजी की। इसके बाद बस अड्डे पर आंदोलनकारियों की एक सभा हुई। सभा की अध्यक्षता करते हुए राज्य आंदोलनकारी इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि हमारे लिए गैरसैंण राजधानी का मतलब सिर्फ राजधानी नहीं है। यह रोजगार, सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य का सवाल है। हमारे संसाधनों पर हमारा अधिकार हो, यह इसकी भी लड़ाई है। राज्य का आंदोलन इन्हीं सवालों को लेकर शुरू हुआ था और आज भी हमें बुनियादी सुविधाओं के संघर्ष करना है।

उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन का मतलब सिर्फ हंगामा खड़ा करना नहीं है, व्यवस्थित, सोच-समझ और वैचारिक दृष्टि को साफ करके आंदोलन होना चाहिए। बदमाशी और चंदाखोरी नहीं होनी चाहिए। इन आंदोलनों में राजनीति जरूरी है। अगर आप राजनीति नहीं करोगे तो कोई और करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा न हो कि गैरसैंण राजधानी बनने के बाद माफियाओं की सत्ता गैरसैंण में बैठ जाए। फिर इस लड़ाई का भी कोई महत्व नहीं रह जाएगा। इस मौके पर राजधानी निर्माण संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि गैरसैंण राजधानी का आंदोलन धीरे-धीरे प्रदेश भर में फैल रहा है। जगह-जगह लोग बड़ी संख्या में आंदोलन में शरीक हो रहे हैं। सरकार कहती है कि गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित की जाएगी, लेकिन हम गैरसैंण को स्थाई राजधानी चाहते हैं। एक छोटे से प्रदेश में दो राजधानी का कोई मतलब नहीं रह जाता। जब तक सरकार गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

सभा को संबोधित करते हुए एडवोकेट केपी ढौंडियाल, पूर्व सैनिक संगठन के महामंत्री राय सिंह बिष्ट, राजधानी आंदोलनकारी सत्यपाल नेगी, श्रीनगर के छात्र संघ उपाध्यक्ष अजय पुंडीर ने कहा कि गैरसैंण राजधानी पहाड़ के अस्तित्व का सवाल है। राज्य आंदोलन में हमारे लोगों ने इसीलिए शहादत दी थी। लेकिन पिछले 17 सालों में किसी भी सरकार ने राजधानी को लेकर इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। जो सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। सभा का संचालन लक्ष्मण सिंह नेगी ने किया।

इस मौके पर प्यार सिंह नेगी, रमेश बेंजवाल, दीपक बेंजवाल, अशोक चौधरी, योगंबर सिंह नेगी, लक्ष्मण सिंह नेगी, जोत सिंह बिष्ट, प्रबल सिंह नेगी, सत्पाल नेगी, जसपाल सिंह पंवार, हरि सिंह राणा, राय सिंह रावत, महिपाल सिंह नेगी, भूपेन्द्र बहुगुणा, रविन्द्र भट्ट, अतुल नौटियाल, रामप्रकाश गौड़, प्रदीप चौधरी, शैलेन्द्र गोस्वामी, शैलेन्द्र गोस्वामी, चंडी प्रसाद सेमवाल, राय सिंह बिष्ट, विवेक खन्ना, नरेन्द्र रावत, मोहन सिंह, संतोष सेमवाल, मोहन सिंह, संतोष मेवाल, भूपेन्द्र नेगी, गौरव काला, अंकुर खन्ना, सुनील बिष्ट, मुकेश कंडारी, सूरज बिष्ट, अजय पुंडीर, प्रवीन कुमार, अजय कप्रवाण, सृष्टि जगवाण, सुखदेव सिंह, महाबीर चौधरी, आचार्य दीपक नौटियाल, अजय आनंद नेगी, संदीप भट्टकोटी, रमेश भट्ट , हिमांशु सेमवाल, कुलदीप राणा समेत बड़ी संख्या में आंदोलनकारी उपस्थित थे।

कार्यकारिणी का गठन
रुद्रप्रयाग। गैरसैंण स्थाई राजधानी संघर्ष मोर्चा की बैठक में कार्यकारिणी का गठन किया गया। जिसमें सर्वसम्मति से मोहित डिमरी को अध्यक्ष नामित किया गया और पुरूषोत्तम चन्द्रवाल को महासचिव नियुक्त किया गया। एडवोकेट कांता प्रसाद ढौंडियाल को कोषाध्यक्ष और एडवोकेट प्यार सिंह नेगी को सह सचिव का दायित्व सौंपा गया। साथ ही रमेश बेंजवाल और लक्ष्मण सिंह नेगी को मीडिया प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई।

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