महाकुम्भ आयोजन 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक महज 30 दिन का होगा..
उत्तराखंड: महाकुम्भ को लेकर अब हो गयी है तस्वीर साफ़ उत्तराखंड सरकार ने बता दिया है कि कमज़ोर पड़ते कोरोना वायरस की महामारी के चलते आम श्रद्धालुओं को सुरक्षित बनाये रखने के लिए महाकुंभ के महा आयोजन को महज 30 दिन में खत्म किया जायेगा। हांलाकि ये खबर देश दुनिया से आने वाले पर्यटकों श्रद्धालुओं और तीर्थाटन के शौकीन के लिए थोड़ा निराश करने वाली है लेकिन बेहद विषम परिस्थितियों की वजह से ऐसा किया जा रहा है।
राज्य के मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने महाकुंभ की अवधि पर बात करते हुए स्थिति को स्पष्ट करे हुए बताया कि कोरोना वायरस की महामारी की वजह से सरकार ने फैसला लिया है कि महाकुंभ के आयोजन को 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक समेटा जा रहा है। आपको बता दें कि केन्द्र और राज्य सरकार महाकुंभ पर एसओपी पहले ही जारी कर चुकी हैं। साथ ही महाकुंभ का समय कम हो यह भी केंद्र सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन में साफ है, ऐसे में अब सिर्फ 30 दिन का ही महाकुंभ होगा।
अपने निजी वाहन से मेले में आने वालों पर भी खास तौर से ध्यान दिया जा रहा है। बसों में टिकट की बिक्री-खरीद के दौरान और टिकट काउंटर के आसपास सामाजिक दूरी होना जरूरी किया गया हैं। काउंटर पर तैनात सभी कर्मचारी हर समय मास्क और दस्ताने पहन कर रखेंगे। टिकट काउंटर, बस स्टॉप, बस स्टैंड और टैक्सी स्टैंड पर सोशल डिस्टेंसिंग मानक प्रदर्शित करने वाले पोस्टर लगाना जरूरी होगा।
भजन और भंडारे पर रहेगी रोक..
महाकुम्भ का बड़ा आकर्षण होता है लंगर भंडारा और सांस्कृतिक धार्मिक गीत संगीत और मंचन जिसे देखने के लिए लोग पंडालों में इकठ्ठा होते हैं और बड़े चाव से इसमें शामिल होते हैं लेकिन इस बार ये रंग भी कुम्भ में नहीं दिखाई देगा क्यूंकि राज्य सरकार की एसओपी में कहा गया है कि श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए स्नान घाटों पर किसी भी तरह के भंडारे पर रोक रहेगी। धार्मिक नाटिकाएं , रासलीलाएं और प्रवचन आदि के साथ भजन गाने पर भी रोक लगायी गयी है ऐसे में महाकुम्भ कैसा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता हैं।
महाकुंभ का स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की तैयारी फिलहाल रोक दी गई हैं। हालांकि सिर्फ महाकुंभ स्नान करके जाने वाले श्रद्धालुओं को ही बाहर ले जाने के लिए ट्रेनों की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि महाकुंभ को देखते हुये केंद्र सरकार से मांगी गई वैक्सीन की डोज भी मिल गई हैं, जो कि महाकुंभ में काम करने वाले कर्मचारियों और व्यापारियों को 1 अप्रैल से पहले लगा दी जायेगी।
क्या कहती है त्रिवेंद्र सरकार की एसओपी..
हरिद्वार में महाकुंभ के स्नान के लिए श्रद्धालु आ सकेंगे। आश्रम, धर्मशाला, सार्वजनिक परिवहन और स्नान घाटों के लिए खास तौर पर सरकार की तरफ से दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। आश्रम में रुकने और स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को शर्तों के साथ ही एंट्री दी जाएगी। वहीं, बिना पंजीकरण के हरिद्वार में स्नान के लिए एंट्री नहीं दी जाएगी। हर व्यक्ति को अपने साथ आरटी-पीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी. जबकि थर्मल स्क्रीनिंग, सैनिटाइजर की व्यवस्था आश्रम और धर्मशाला में होना जरूरी है। इसके अलावा जो श्रद्धालु कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट लिए बिना आश्रम आएंगे उनकी बुकिंग नहीं की जाएगी। वहीं, एंट्री पास और यात्री के हाथ पर स्याही के मार्क के बिना आश्रम में प्रवेश नहीं मिलने वाला है। स्नान के लिए 20 मिनट की ही परमिशन दी जाएगी और घाटों पर सर्कल होना भी अनिवार्य किया गया है।