उत्तराखंड

विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हुए मां गौरीमाई के कपाट..

विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हुए मां गौरीमाई के कपाट..

अब अगले वर्ष कपाट खुलने पर होगा मां गौरी और भगवान शंकर का मिलन..

 

 

 

 

 

 

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम यात्रा के प्रमुख पड़ाव गौरीकुंड स्थित मां गौरीमाई के कपाट भैयादूज को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। अब छह महीने मां गौरीमाई की पूजा-अर्चना गौरी गांव स्थित मां चंडिका मंदिर में होगी।
बृहस्पतिवार प्रातः गौरीमाई मंदिर गौरीकुंड में विधि-विधान के साथ पुजारी एवं आचार्य गणों की उपस्थिति में विशेष पूजा अर्चना कर कपाट बंद करने की प्रक्रिया प्रारम्भ की गई।

ठीक साढ़े आठ बजे माता की मूर्ति को थाल कंडी में रखकर बाहर लाया गया, जिसे ग्रामवासियों ने गौरी गांव स्थित मां चंडिका मन्दिर ले जाया गया। माता की मूर्ति बाहर आते ही मन्दिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। बता दें कि केदारनाथ डोली के कैलाश के लिए प्रस्थान करते समय पंच मुखी उत्सव डोली गौरीमाई मंदिर में एक रात्रि प्रवास करती है और अगले दिन डोली स्नान करने के बाद रवाना होती है।

उस दौरान यह दृश्य भी भावुक कर देता है। छः माह यात्रा कपाट खुलने पर मां गौरी और भगवान शंकर का मिलन होता है। अब अगले वर्ष मां गौरी और भंगवान शंकर का अदभुत मिलन होगा। इस अवसर पर मठाधिपति सम्पूर्णा नंद गोस्वामी, कुल पुरोहित विमल जमलोकी, अनूप गोस्वामी, सुशील गोस्वामी, रामचन्द्र गोस्वामी, अरविंद गोस्वामी, प्रीतम गोस्वामी सहित मन्दिर समिति के कर्मचारी एवं भक्त मौजूद थे।

 

 

 

 

 

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