मोमबत्तियां जलाकर भू-कानून आंदोलन की अलख जगाई…
उत्तराखण्ड : पहाड़ परिवर्तन समिति ने उत्तराखण्ड में भू कानून की मुहिम को आगे बढाते हुए बीती रात घरों में दिए और मोमबत्तियां जलाकर इस आंदोलन के लिए एक अलख जगाई है। पहाड़ परिवर्तन समिति के संस्थापक अध्यक्ष उमेशकुमार ने बताया कि उत्तराखण्ड में भू कानून की लड़ाई को वो आगे एक बड़ा रूप देने जा रहे हैं । उन्होंने कहा कि भू कानून उत्तराखण्ड वासियों का हक है इसके लिए आगे की रूप रेखा तैयार की जा रही है और आम जन मानस के हकों से जुड़े इस आंदोलन को लागू करवाने के लिए लड़ाई जारी रहेगी।
उत्तराखण्ड के जल ,जंगल और जमीन के इस आंदोलन में हजारों की सँख्या में युवा जुड़ रहे हैं जो इस आंदोलन में अपनी ऊर्जा से मजबूती देंगे।
पिछले लंबे समय से सोशल मीडिया में उठी आवाज़ ,आगे चलकर समाज की दिशा और दशा बदलने में बेहद किफायती और कारगर साबित हुई है कई बार ऐसा हुआ है कि सोशल मीडिया में उठने वाली मांगों को सरकार ने अपने एजेंडे में तक शामिल किया और उसे पूरा भी करना पड़ा, ऐसी ही एक मांग इन दिनों उत्तराखंड में सोशल मीडिया पर जमकर ट्रेंड कर रही है, वह उत्तराखंड में भू कानून लाने की आवाजें, जो अब चौतरफा आने लगी है। टि्वटर हो फेसबुक इंस्टाग्राम हो या अन्य सोशल मीडिया साइट सभी जगह उत्तराखंड मांगे भू कानून ट्रेंड कर रहा है।
उत्तराखंड में भू कानून के इतिहास पर अगर नजर डालें तो राज्य बनने के बाद 2002 में अन्य राज्यों के लोग यहां 500 वर्ग मीटर जमीन खरीद सकते थे 2007 में इसकी सीमा ढाई सौ वर्ग मीटर कर दी और वर्ष 2018 में सरकार ने जो फैसला लिया उसे सभी ने चौंका कर रख दिया। क्योंकि 6 अक्टूबर 2018 को सरकार ने अध्यादेश लाकर उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम 1950 में संशोधन विधेयक पारित करते हुए उसमें धारा 143 क और धारा 154 (2) जोड़कर पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा समाप्त कर दी।