उत्तराखंड

लक्ष्य महायज्ञ में प्रतिदिन प्रतिभाग कर रहें हजारों श्रद्धालु

फेगू में मां काली ने किया था वाणासुर राक्षस का वध
3 अप्रैल को निकाली जायेगी विशाल जल कलश यात्रा
रुद्रप्रयाग। फेगू में विश्व शांति और कल्याण के लिये आयोजित लक्ष्य यज्ञ में प्रतिदिन सैक़ड़ांे की तादात में भक्त आकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। लक्ष्य यज्ञ के दौरान 3 अप्रैल को 310 कलशों से भव्य जलकलश यात्रा निकाली जायेगी। जिसके बाद 4 अप्रैल को पूर्णाहुति के साथ यज्ञ का समापन हो जायेगा।

कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में इसी स्थान पर मां काली ने वाणासुर के साथ युद्ध करके विश्व मंगल की कामना की थी। इतिहास कहता है कि तीर्थाटन तथा पर्यटन को बढ़ावा देेने के लिये प्राचीन समय पर दक्षिण भारत के कांचिकोटि निवासी आदि गुरू शंकराचार्य ने भ्रमण के दौरान इस स्थान पर विश्राम किया था। अपने साथ वे कई ग्रामीणों को भी लेकर आये थे, जो रसोईया, वेदपाठी, ब्राम्हण तथा सामाग्री के ढुलान के लिये नियुक्त थे। बताया जाता है कि चार धामों के अस्तित्व से पूर्व आदि गुरू शंकराचार्य ने दुर्गा मंदिर की खोज कर दी थी। वाणासुर की धरती फेगू में वाणासुर की प्रताड़नाओं से मुक्ति देने के लिये भगवान शिव ने कई दिनों तक वाणासुर के साथ युद्ध किया, लेकिन उसके बल और वेग के आगे भगवान शंकर बेबस हो गये और वाणासुर के डर के कारण शंकर कई दिनों तक छुप गये। वाणासुर ने शंकर की काफी खोज की, लेकिन उनका कहीं भी पता नहीं मिला। इस दौरान भगवान विष्णु ने मां का लावण्य रूप रखकर मां काली की तपस्या की और वाणासुर की प्रताढ़नाओं से क्षेत्रवासियों को मुक्त करने की प्रार्थना की। मां काली ने विष्णु की विनती को सुना और उन्हें आश्वस्त किया कि वह रौद्र रूप वाणासुर के साथ युद्ध करेंगी। अति क्रोध के कारण गुस्से के आधिक्य मंे मां काली का रंग काला पड़ गया और काले रूप में इसी मंदिर में अवस्थित हो गयी थी। तब से लेकर आज तक मां काली के विभत्स रूप की पूजा अचर्ना करके भक्तों मनौतियां मांगते हैं।

मां दुर्गा समिति के महामंत्री शिवानंद सेमवाल का कहना है कि क्षेत्र में अतिवृष्टि और सूखे से बचने के लिये भक्त मां दुर्गा और बाराही की पूजा अर्चना करते थे। इसके साथ ही 360 तीर्थपुरोहित तथा आठ सियाणा द्वारा अपनी इस अराध्य देवी को मनाने तथा पूजन अर्चन के लिये आदि काल से ही अन्न को मां की नाली के रूप में मंदिर को चढ़ाते थे। उन्हांेने कहा वाडिया इंस्टीट्यट के वैज्ञानिकों ने अपनी एक खोज से यह स्पष्ट किया कि मां दुर्गा की काली मूर्ति धरती के अंदर भी लगभग दस मीटर तक स्थित है। कहा कि कि लक्ष यज्ञ में विभिन्न देवी देवताओं का आह्वान तथा बीजमंत्रों का जाप करके एक लाख आहुतियां यज्ञ कुंड में अर्पित की जाती हैं। कहा कि क्षेत्र में दूषित वातावरण, छल, छिद्र तथा विभिन्न दोषों को दूर करने के लिये इस तरह के धार्मिक अनुष्ठान किये जाते हैं। इससे ना केवल धार्मिक आस्था और आध्यात्म को बल मिलता है, अपितु आपसी प्रेम वा भाईचारा भी बरकरार रहता है। उद्योगपति विजय कनौड़िया तथा कल्पना कनौड़िया के सानिध्य में यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।

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